
भारतीय राजनीति के दिग्गज राजनेता और देश के वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को 72 साल के हो चुके हैं. साल 1951 में राजनाथ का जन्म वाराणसी के चकिया तहसील अंतर्गत बभोरा गांव में हुआ था. शुरूआती दिनों में एक छात्र के तौर पर राजनाथ सिंह बेहद प्रतिभावान थे. हालांकि इनकी रुचि राजनीति में थी. लिहाजा इनकी सियासी यात्रा की शुरुआत साल 1964 में हो गई, जब वो महज 13 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े.
साल 1972 में राजनाथ सिंह आरएसएस के मिर्जापुर के शाखा कार्यवाह (महासचिव) भी बने. इसके ठीक 2 साल बाद वर्ष 1974 में वह राजनीति में शामिल हो गये. 1969 और 1971 के बीच वह गोरखपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठनात्मक सचिव भी रहे. साल 1974 में, उन्हें भारतीय जनता पार्टी के पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ की मिर्ज़ापुर इकाई का सचिव नियुक्त किया गया.
बाद में साल 1975 के दौरान 24 वर्ष की आयु में, सिंह को जनसंघ का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया. यह वही साल था जब देश में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल लगाया था. जिसे आज के दिन पर भारतीय लोकतंत्र के लिए काला अध्याय माना जाता है. 1970 के दशक में राजनाथ सिंह, जयप्रकाश नारायण के जेपी आंदोलन से प्रभावित थे. उन्हें जेपी आंदोलन से जुड़ने के कारण वर्ष 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान गिरफ्तार भी किया गया और 2 साल की अवधि के लिए हिरासत में रखा गया था.
जेल से रिहा होने के बाद, राजनाथ सिंह जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित जनता पार्टी में शामिल हो गए और 1977 में मिर्ज़ापुर से विधान सभा चुनाव लड़ा. यह उनका पहला चुनाव था जिसमें उन्होंने प्रचंड जीत हांसिल की और मिर्ज़ापुर से विधान सभा के सदस्य के रूप में चुने गए. उस समय तक उन्होंने भारत की सियासत में काफी लोकप्रियता हासिल कर ली थी. बाद में वर्ष 1980 में वो भाजपा में शामिल हो गए और पार्टी के शुरुआती सदस्यों में से एक थे.
वह साल 1984 में भाजपा युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष, 1986 में राष्ट्रीय महासचिव और 1988 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए भी चुने गए. साल 1991 में उत्तर प्रदेश में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और उन्हें शिक्षा मंत्री का पदभार मिला. यूपी की शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक बनाने में राजनाथ सिंह का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
साल 2000 में राजनाथ सिंह ने बतौर मुख्यमंत्री यूपी की कमान संभाली और इसके बाद लगातार 2 बाद हैदरगढ़ से विधायक चुने गए. हालांकि 2 साल के अंदर ही उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि उस समय ग्राउंड टेस्ट के दौरान बीजेपी सरकार अल्पमत में थी. राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा, फिर उसके बाद 14वीं विधान सभा में मायावती तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं.
राजनीति के इसी उतार चढ़ाव के क्रम में वो साल 2014 में पहली बार देश के गृह मंत्री बने. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने 5 साल तक केंद्रीय गृह मंत्री की जिम्मेदारी का निर्वहन किया. इसके बाद मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान राजनाथ को केंद्रीय रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई.
राजनाथ सिंह अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं. रक्षा से जुड़े तमाम जटिल मामलों में राजनाथ सिंह ने अक्सर एक दृढ इच्छा शक्ति का प्रदर्शन किया है. चाहें वो डोकलाम का मुद्दा रहा हो या हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शान्ति कायम करने की बात, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा है. बहरहाल, आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 72 साल के हो चुके हैं और एक कुशल राजनेता के तौर पर देश की सियासत के सबसे प्रतिष्ठित ओहदे पर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं.









