
शनिवार को भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत लखनऊ पहुंचे. उन्होंने भारत समाचार से बातचीत की. राकेश टिकैत ने अपनी मांगों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि जल्द ही मांगों को लेकर एक बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारी मांग भूमि अधिग्रहण को लेकर है. इसके अलावा हमारी मांग गन्ना भुगतान, गन्ना मूल्य, साथ ही जहां-जहां जो भी फसल होती है, उसके न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर है.
भीकियू प्रवक्ता ने कहा कि ये आंदोलन देश में मोदी एमएसपी गारंटी कानून लागू करने को लेकर है. इसके अलावा हमारी मांग है कि ट्रैक्टर और डीजल वाहन एनजीटी से बाहर आएं क्योंकि ये प्रदुषण नहीं फैलाते. प्रदुषण तो उद्योग फैलाते हैं. राकेश टिकैत ने कहा कि हम आज से पच्चीस साल पहले यूरोप गए. हम वहां बड़े-बड़े यार्ड देखते थे कि दस पंद्रह एकड़ का एक यार्ड है, गाड़ियां ही गाड़ियां खड़ी है. ये आज हमारे यहाँ पर देखने को मिल रहा है. दस साल पुरानी गाड़ी यार्ड में खड़ी होगी. वो इसका स्क्रैप बनेगा और फिर कंपनी से नई गाड़ी आएगी.
उन्होंने कहा कि इससे बहुत लोग प्रभावित होंगे. हमारे छोटे दुकानदार खत्म हो जाएंगे, लोगों का पैसा जाएगा, नई-नई गाड़ियां, ट्रेक्टर आप खरीदोगे. ये देश को बर्बाद करने की एक बड़ी साजिश रची जा रही है. राकेश टिकैत ने कहा कि राजधानी लखनऊ में 18 सितंबर को बड़ी पंचायत होगी. इन्हीं सभी मुद्दों को लेकर इको गार्डन में ये महापंचायत आयोजित होगी.
उन्होंने ये भी बताया कि ग्यारह अगस्त का ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा. जिसमें हर जिला मुख्यालय पर स्थानीय मुद्दों को लेकर DM को ज्ञापन देंगे. वहीं जब राकेश टिकैत से पूछा गया कि बीजेपी के कई नेता आप पर ये आरोप लगाते हैं कि जब भी चुनाव आता है आप सक्रिय हो जाते हैं. इसका जवाब देते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि आपको ऐसा लगता है तो हमारा पर्चा निरस्त करा दीजिए.
उन्होंने सरकार पर हमलावर होते हुए कहा कि उन्होंने किसानों को फ्री बिजली देने का वादा किया था. करीब आठ नौ राज्यों में किसानों के लिए जो फ्री बिजली होनी चाहिए थी वो दोगे नहीं. आप लोगों को बहका कर वोट तो लोगे लेकिन आप अपने घोषणा पत्र पर काम नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार, सरकार के अधिकारी और मंत्री मुख्यमंत्री किसानों से बातचीत नहीं करेगा. तो हम आंदोलन भी ना करें. अपनी बात तो कहेंगे ना. जब वहां भीड़ इकट्ठा होगी तो कम से कम अपनी बात कह देंगे.
उन्होंने कहा कि क्या मुख्यमंत्री किसानों से बातचीत करने का टाइम देंगे. अपने एजेंडे में उन्होंने ये ठान लिया है कि किसान से बातचीत करनी ही नहीं. इसलिए अगर बात नहीं करोगे तो आंदोलन तो झेलना पड़ेगा.








