
नोएडा अथॉरिटी के ट्विन टावर को आज के ही दिन यानी 28 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया था। 28 अगस्त को दोपहर 2:30 बजे महज 9 सेकेंड में RDX के जरिए इस बहु मंजिला इमारत को ध्वस्त कर दिया गया था। वहीं अब ट्विन टावर पर मालिकाना हक को लेकर विवाद छिड़ गया है। मालिकाना हक को लेकर बिल्डर और AOA के लोग आमने-सामने आ गए है।

दिन था रविवार और तारीख थी 28 अगस्त 2022 समय था दोपहर 2:30 बजे का जब नोएडा अथॉरिटी का पाप कहे जाने वाले सुपरटेक ट्विन टावरों को जमींदोज कर दिया गया था। सिर्फ 9 सेकंड में मलबे में तब्दील हुई विशालकाय इमारत में विस्फोट से किसी नुकसान की खबर नहीं आई थी। 100 मीटर ऊंची इस बिल्डिंग को सुरक्षित रूप से जमींदोज करने के लिए, जलप्रपात विस्फोट तकनीक का उपयोग किया गया था।
क्यों ध्वस्त किया गया था ट्विन टावर ?
सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने की मुख्य वजह इसे गैरकानूनी तरीके से बनाई गई बिल्डिंग बताया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोएडा अथॉरिटी के सीनियर अधिकारियों पर सख्त टिप्पणी भी की थी। इसे गिराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़ी गई थी। सुपरटेक बिल्डर की तरफ से नामी वकील इस केस को लड़े लेकिन वह ध्वस्त होने से नहीं बचा सके थे।
3,700 किलो विस्फोटक से गिराई गयी थी बहुमंजिला मंजिल
बिल्डिंग को गिराने के लिए लगभग 3,700 किलो विस्फोटक लगाया गया था। बता दें कि नोएडा के सेक्टर-93 स्थित 40 मंजिला ट्विन टावरों का निर्माण 2009 में हुआ था। सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे।
दोषी अधिकारियों पर अभी तक नहीं दिखी प्रभावी कार्रवाई
ट्विन टावर को ध्वस्त हुए एक साल बीत गया लेकिन भ्रष्टाचार में डूबे प्राधिकरण के अधिकारियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी, सिर्फ जांच-जांच का खेल जारी है। मामले में 24 लोगों पर दर्ज कराई गयी थी एफआईआर हुयी थी और एसआईटी का भी किया गया था जांच के लिए गठन था लेकिन अभी तक केवल 4 आरोपियों ने अधूरे जवाब दर्ज कराए गए है। अधिकारियों पर कार्रवाई होने के इंतज़ार में सोसाइटी के लोग है। ग्रेनो प्राधिकरण के OSD सौम्य श्रीवास्तव कर रहे इस मामले की जांच।








