कौन हैं सपा के ‘विजय सिंह गोंड’ जिनको बना दिया दुद्धी उपचुनाव में प्रत्याशी ?

लखनऊ सपा कार्यालय में चल रही बैठक खत्म हुई. सपा ने दुद्धी उपचुनाव में प्रत्याशी उतारा की घोषणा भी कर दी है. सपा ने विजय सिंह गोंड को दुद्धि उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया है.

Lucknow : लखनऊ सपा कार्यालय में चल रही बैठक खत्म हुई. सपा ने दुद्धी  उपचुनाव में प्रत्याशी उतारा की घोषणा भी कर दी है. सपा ने विजय सिंह गोंड को दुद्धी  उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने निर्देश दिए है, कि 2024 के चुनाव को लेकर प्रत्याशियों के नाम के सुझाव मांगे है. और वोटर लिस्ट पर विशेष ध्यान देने की बात कही है. सोनांचल की राजनीति में कई नेताओं के गुरु स्व. राम प्यारे पनिका के शिष्य रहे दुद्धी से सपा प्रत्याशी विजय सिंह गोड़ आदिवासी नेता के रूप में पहचाने जाते हैं. उन्होंने वर्ष 1980 से अपना चुनावी सफर शुरू किया और उत्तर प्रदेश की सबसे अंतिम विधानसभा सीट दुद्धी से लगातार सात बार विधायक रहे. पूर्व की मुलायम सिंह यादव की सरकार में वे परिवार कल्याण राज्यमंत्री भी रहे.

बता दें कि अपने पूरे राजनीतिक जीवन में महज एक बार वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में अद एस व भाजपा गठबंधन के प्रत्याशी हरिराम चेरो से हार मिली. वर्ष 1980 के चुनाव में पढ़ाई छोडकर पहली बार चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव में उतरे विजय सिंह गोंड़ ने भाजपा के तत्कालीन विधायक ईश्वर प्रसाद को करीब 32 सौ वोट हराकर अपनी पारी का आगाज किया था. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. हर चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई जो लगातार (सात बार) 2007 तक कायम रहा.

इस दौरान उन्होंने लंबा संघर्ष कर आदिवासियों के लिए अलग से आरक्षण की मांग करते हुए 17 जातियों को अनुसूचित जाति से हटवाकर अनुसूचित जनजाति में शामिल कराने में कामयाब हुए, लेकिन इसी कारण वह वर्ष 2007 का विधान सभा चुनाव भी नही लड़ पाए, क्योंकि गोड़ बिरादरी अनुसूचित जनजाति में शामिल हो गई और दुद्धी विधानसभा की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. विजय गोड़ 1984 में भी कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़े और जीत हासिल किये. इसके बाद उन्होंने वर्ष 1989 में निर्दल प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमाया.

इसके बाद वर्ष 1991 में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और सपा से ही विधानसभा चुनाव लड़ा. इस चुनाव में भी उन्हें जीत हासिल हुई. फिर 1993, 1996 व 2002 में भी सपा से चुनाव लड़े और जीत हासिल की. वर्ष 2007 में वे गोड़ बिरादरी के अनुसूचित जनजाति में शामिल होने से वे चुनाव नहीं लड़ सके. इसी तरह 2012 में भी अनुसूचित जाति की ही सीट होने के कारण मौका नहीं मिला. वर्ष 2017 में दुद्धी व ओबरा विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हो गई. तब विजय सिंह बसपा में शामिल हो चुके थे. उन्होंने बसपा के टिकट पर दुद्धी से चुनाव लड़ा लेकिन 1085 मतों से हार गए. अब एक बार फिर सपा ने दुद्धी विधानसभा सीट से विजय सिंह गोड़ को पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया है.

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