
शीतकाल के इस मौसम में जहां पहाड़ियों में बर्फबारी और बगीचों में खाद के रूप में बर्फ रहा करती थी, तो इस बार के मौसम ने किसानों के चेहरों को मायूस कर दिया है। साल के अंतिम महीने और अब साल की शुरुआत में अब तक भी बारिश की बूंद और बर्फबारी ना होने से किसानों को अपनी मेहनत पर पानी फिरता दिख रहा है।
उत्तरकाशी जिले के गंगाघाटी, यमुनाघाटी और टौंस घाटी में कृषकों की आय का जरिया खेती और बगीचों में नगदी फसलों और सेब की पैदावार पर ही निर्भर रहते है और इस माह में मटर, गेहूं, धनिया, लहसून जैसी नगदी फसलों में बारिश और बर्फबारी की अत्यंत आवश्यकता है लेकिन बारिश बर्फबारी ना होने के चलते आने वाले समय में अच्छी खेती न होने का अब खतरा किसानों में मंडराने लगा है।
दरअसल यही मौसम होता है जब सेब के बगीचों के लिए बर्फबारी खाद का काम करती है, लेकिन वह भी न होने के कारण बागानों में मायूसी है, बारिश ना होने से सुबह के समय पाला भी अत्यधिक पड़ रहा है जिससे फसल भी खराब हो रही है यानी किसानों पर मौसम के साथ-साथ पाले की भी दोहरी मार पड़ रही है।









