
वाराणसी। काशी में बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में VIP दर्शन को लेकर वायरल हुए आदेश की कॉपी ने उत्तर प्रदेश को सियासत को गरमा दिया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने वायरल हुए खबर को X करते हुए जहां बीजेपी पर धर्म को धन का विषय न बनाए जाने की नसीहत दी, तो वही कांग्रेस ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाया। दरसल सोशल मीडिया पर शुक्रवार को वाराणसी के कमिश्नर का एक आदेश कॉपी वायरल हुआ था, जिसमे VIP दर्शन करवाने वाले सब इंस्पेक्टर पर जुर्माना लगाने का आदेश दिया गया। वायरल हुए इस आदेश की कॉपी में आरोपी था कि बिना अनुमति और नियमों को नजर अंदाज करते हुए सब इंस्पेक्टर ने 5 लोगो को VIP दर्शन करवाया। ऐसे में सब इंस्पेक्टर पर कार्रवाई करते हुए 300 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से 1500 का जुर्माना लगाया गया और यह जुर्माना सब इंस्पेक्टर के सैलरी से काटी जाएगी। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस आदेश की कॉपी के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत गरमा गई है
अखिलेश यादव ने आदेश पर किया बीजेपी पर कटाक्ष, कांग्रेस ने ली बीजेपी पर चुटकी!
वायरल हुए आदेश की कॉपी और मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट X पर लिखा कि “भाजपा सरकार धर्म को धन का विषय न बनाए। सुना है वीआईपी दर्शन करवाने गये एक इंस्पेक्टर को जुर्माने के रूप में अपनी जेब से टिकट का पैसा देने का आदेश वाराणसी के डिप्टी कलेक्टर साहब ने पारित किया है और इसके लिए उसके वेतन से पैसा काटने का लिखित निर्देश भी दिया है। जो ड्यूटी पर है उससे ऐसी वसूली पुलिस विभाग के कर्मियों के बीच चर्चा और रोष-आक्रोश का विषय बन गयी है। पूजा स्थलों के सामने से गुजरने पर लोग जब सिर झुकाकर अपनी आस्था प्रकट करते हैं कहीं उस पर भी ये भाजपा सरकार टैक्स या टिकट न लगा दे। जगह-जगह टिकट लगाकर भाजपा सरकार धर्म की हानि कर रही है। भाजपा ग़रीब से भगवान के दर्शन करने का अधिकार छीनना चाहती है।” वही अखिलेश यादव के साथ ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि वह पूर्व से ही इस बात को कहते आ रहे है, कि बीजेपी धर्म के नाम पर छलावा कर रही है और बाबा श्री काशी विश्वनाथ की आस्था पर कुटराघाट कर रही है।

वाराणसी कमिश्नर ने दी सोशल मीडिया पर सफाई, वायरल हुए आदेश का किया खंडन
सोशल मीडिया पर वाराणसी कमिश्नर कौशल राज शर्मा के नाम का वायरल हो रहे आदेश की कॉपी की सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हो रही है। ऐसे में वायरल हुए आदेश पर वाराणसी के कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने सफाई देते हुए वायरल हो रहे आदेश की कॉपी का खंडन करते हुए उसे फेक बताया है। वाराणसी के कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने कहा कि मंदिर प्रशासन और न्यास के द्वारा जो व्यवस्थाएं पूर्व में बनाई गई है, उसमे किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे आदेश की कॉपी पूरी तरह से फेक है।

प्रोटोकॉल के नाम पर कर रहे थे अन्य दर्शनार्थी दर्शन, रोक लगाने के लिए जनवरी में नई व्यवस्था का आदेश : कमिश्नर
जनवरी माह की नई व्यवस्था को लेकर वाराणसी के कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने कहा कि जनवरी माह की शुरुआत से केवल प्रोटोकॉल व्यवस्था के दुरुपयोग को रोकने का प्रयास प्रारंभ हुआ है। गत 3-4 माह से विभिन्न विभागों द्वारा अपने कर्मचारियों व अधिकारियों के माध्यम से प्रोटोकॉल हेतु बनाये गये सेल के माध्यम से दर्शन ना करा कर सीधे दर्शन करा दिये जा रहे हैं। मंदिर की स्टेट लेवल सिक्योरिटी कैमेटी ने काफ़ी महीनों पहले इस हेतु ट्रस्ट, पुलिस और सीआरपीएफ़ की एक जॉइंट सेल की व्यवस्था की है जो गेट नंबर 4 के भीतरी हिस्से में है। प्रोटोकॉल के लोग वहाँ नोट हो कर दर्शन हेतु भेजे जाते हैं। जो लोग वहाँ ग़लत आ जाते हैं उनके 300 रुपये से सुगम दर्शन करा दिये जाते हैं। प्रोटोकॉल की इस व्यवस्था को बाइपास करने से प्रथमतः कार्य अनुशासित नहीं रहता, दूसरा जो लोग सुगम दर्शन करने में सक्षम हैं और प्रोटोकॉल के अन्तर्गत नहीं आते उनके इस प्रकार निःशुल्क दर्शन से उनसे मंदिर की आय में फ़र्क़ पड़ता है, तीसरा इस प्रकार बायपास देख कर अन्य विभाग या कर्मचारी प्रेरित होते हैं और यह बढ़ता ही चला जाता है, मंदिर के निशुल्क दर्शनार्थियों को भी इससे बुरा महसूस होता है। मंदिर में प्रोटोकॉल दर्शन जिन विभागों के माध्यम से ज़्यादा होते हैं उनको इस संबंध में दिसंबर माह के अंत में ही पत्र जारी कर दिया गया था कि प्रोटोकॉल के नाम पर अन्य लोगों को दर्शन ना करायें और उस पर रोक लगायें। अब ये विभागों की ज़िम्मेदारी बनती है कि प्रोटोकॉल व्यवस्था का दुरुपयोग ना हो और जो लोग सुगम दर्शन कर सकते हैं उनको बिना कारण प्रोटोकॉल व्यवस्था ना दें। पत्र में यह व्यवस्था भी वर्णित है कि कोई व्यक्ति जो प्रोटोकॉल सूची में नहीं भी है उनको भी ट्रस्ट के माध्यम से प्रोटोकॉल व्यवस्था के तहत दर्शन कराए जा सकते हैं।









