
बिलकिस बानो के दषियों की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बड़ा फैसला सुनाते हुए दोषियों को राहत देने से साफ़ इंकार कर दिया है। कोर्ट ने दोषियों की याचिका खारिज करते हुए दो दिनों के अंदर सरेंडर करने का आदेश सुनाया है।
आत्मसमर्पण में माँगा था समय
गौरतलब है कि बिलकिस बानो के दोषियों की आत्मसमर्पण करने की समय सीमा 21 जनवरी को समाप्त हो रही है। इस बीच उन्होंने अपने आत्मसमर्पण की समय सीमा बढ़ाने की मांग उठाते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए आज सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया। जिन पांच दोषियों ने राहत मांगी थी, उनमें गोविंद नाई, प्रदीप मोरधिया, बिपिन चंद्र जोशी, रमेश चांदना और मितेश भट्ट का नाम शामिल हैं। इन सभी दोषियों ने अपने निजी परेशानियों का हवाला देते हुए आत्मसमर्पण में कुछ और समय की मांग की थी।
11 दोषियों को किया गया था रिहा
बिलकिस बानो केस में समय से पहले जिन 11 दोषियों को रिहा किया गया था, उनमें बकाभाई वोहानिया, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, गोविंद नाई, जसवन्त नाई, मितेश भट्ट, प्रदीप मोरधिया, राधेश्याम शाह, राजूभाई सोनी, रमेश चांदना और शैलेश भट्ट के नाम शामिल हैं। जानकारी के लिए बता दें कि घटना के वक्त बिलकीस मात्र 21 साल की थीं और पांच माह की गर्भवती थीं। गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद भड़के दंगों के दौरान बानो के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था। वहीँ उस दौरान हो रहे दंगों में मारे गए उनके परिवार के सात सदस्यों में उनकी एक तीन साल की बेटी भी शामिल थी।









