दिल बड़ा करें और हिंदुओ को सौपें ज्ञानवापी, अखिल भारतीय संत समिति ने की मुस्लिम पक्ष से अपील

वाराणसी। ज्ञानवापी में हुए भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद परिसर में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां और मंदिर के अवशेष मिलने को लेकर अखिल भारतीय संत समिति ने मुस्लिम पक्ष से हिंदुओ को शांतिपूर्ण ढंग से ज्ञानवापी सौंपने की अपील किया है। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने अयोध्या की तरह ही ASI सर्वे के बाद ज्ञानवापी में मिले हिंदू मंदिर के साक्ष्यों के आधार पार ज्ञानवापी को सौंपने की बात कही हैं। स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि ASI ने यदुनाथ, अल्टेकर और प्रिसले के तथ्यों पर मुहर लगाया है। ऐसे में अखिल भारतीय संत समिति ASI टीम का अभिनंदन करती है।

मुस्लिम पक्ष अखिल भारतीय संत समिति का आरोप, फर्जी इतिहास पेश कर रहा मुस्लिम पक्ष : स्वामी जितेंद्रानंद

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद ने मुस्लिम पक्ष के द्वारा ज्ञानवापी में मूर्तिकारों द्वारा मूर्तियों का मालवा फेके जाने का दावा करने को झूठ करार दिया है। उन्होंने कहा कि अयोध्या केस के समय भी मुस्लिम पक्ष ने फर्जी इतिहासकारों का सहारा लेने की कोशिश किया था। जिसे कोर्ट ने जांच के बाद झूठा इतिहास करार दिया था। ऐसे में अब ज्ञानवापी में ASI सर्वे की रिपोर्ट सामने आने के बाद मुस्लिम पक्ष झूठे दावों का सहारा न लें। अयोध्या राम मंदिर केस से सिख लेते हुए मुस्लिम भाई फर्जी इतिहासकार और झूठे दावों के झांसे में न आए। सर्वे रिपोर्ट में जब यह आ गया है, कि मंदिर को गिरकर औरंगजेब के जमाने में मस्जिद तैयार किया गया और ज्ञानवापी परिसर की दीवार औरंगजेब के कई हजार वर्ष पुराने मंदिर की दीवार है, तो ऐसे में मुस्लिम पक्ष को खुद पहल करनी चाहिए और अपना दिल बड़ा करते हुए हिंदुओं को ज्ञानवापी सौंप देना चाहिए।

ज्ञानवापी में मिला राम नाम का पत्थर, हिंदू देवी देवताओं की खंडित मूर्तियां

वाराणसी जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश के आदेश के बाद ज्ञानवापी में चले करीब 100 दिनो तक हुए सर्वे की 839 पेज की रिपोर्ट पक्षकारों को सौंपा गया है। गुरुवार को पक्षकारों के द्वारा सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक किया गया, जिसमे हिंदू पक्ष में सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ज्ञानवापी को मंदिर होने की बात कही और ज्ञानवापी के अंदर हिंदू देवी देवताओं की खंडित मूर्तियां और हजारों वर्ष पुराने मंदिर के अवशेष की रिपोर्ट मीडिया के सामने पेश किया। वही मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के दावों को खारिज करते हुए मूर्तियों को मूर्तिकारों के द्वारा ज्ञानवापी के बैरिकेटिंग से पहले फेके हुए मालवा बताया। गौरतलब है, कि ASI सर्वे रिपोर्ट के निष्कर्ष में वर्तमान ढांचे को 2 सितंबर 1669 का बताया गया है। वही ज्ञानवापी के तहखाने के अंदर अरबी और फारसी में टूटे हुए शिलालेख मिले है। वही भगवान विष्णु, गणेश, शिवलिंग के अलावा राम नाम के पत्थर दरबारी जैसे 32 ऐसे साक्ष्य मिले है, जिसके आधार पर हिंदू पक्ष ज्ञानवापी को मंदिर बता रहा है।

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