
होली के त्योहार पर चारों ओर लोग हर्षोल्लास के साथ रंगों की फुहारों का आनन्द लेते हैं। वहीं, रायबरेली जिले के डलमऊ में होली के दिन 28 गांवों में शोक मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार होली पर नए सम्वतसर के स्वागत में जौनपुर के इब्राहिम शाह शर्की की सेना ने राजा डलदेव पर आक्रमण कर उन्हें मौत की नींद सुला दी थी। इस युद्ध में डलमऊ के राजा के साथ-साथ 200 सिपाही भी मारे गए थे। सदियां गुजरने के बाद आज भी डलमऊ क्षेत्र के बासिंदों को इस हादसे की याद ताजी रहती है। इसी शोक के चलते आज भी होली के दिन से तीन दिनों तक डलमऊ क्षेत्र के 28 गावों में शोक मनाया जाता है।
ये है पूरी कहानी
वही डलमऊ में रहने वाले ग्रामीणों की माने तो 700 ईसा पूर्व में हमारे यहाँ राजा डलदेव रहा करते थे और उनके पडोसी राजा इब्राहिम शर्की से कई बार युद्ध भी हुआ और इब्राहिम शर्की को हर बार हार का मुह देखना पड़ा था। जब इब्राहिम को सूचना मिली कि होली के दिन राजा डल अपने महल मे अकेला रहता है। और उसकी कुछ सेना होली के त्योहार मनाने के लिए अपने घर चली जाती है। और कुछ सैनिक राजा के साथ होली का पर्व मनाते हैं।
जौनपुर के इब्राहिम शाह शर्की के राजा अपनी सेना के साथ राजा डलदेव के महल पर उसने सडयंत्र रचा और होली के दिन चुपचाप उसने किले पे हमला कर दिया होली के पर्व में राजा और उनके सैनिक मस्त थे जिसका पडोसी राजा इब्राहिम शर्की ने पूरा फायदा उठाया। दोनों तरफ से युद्ध भी छिड़ गया और लड़ते लड़ते राजा डल देव को वीर गति प्राप्त हुई। उस दिन से डलमऊ के रहने वालो ने होली नही मनाई और तीन दिनों तक सोक व्यक्त किया तब से लेकर आज तक हम लोग होली के दिन ये त्योहार नही मनाते। तीन दिनों के बाद कोई अच्छा सा दिन देख कर हम सभी ग्रामीण होली का पर्व मनाते है।









