
लखनऊ : एक प्रमुख मामले में एससी एसटी स्पेशल कोर्ट ने युवती रिंकी को फर्जी रेप और एससी एसटी एक्ट का मामला दर्ज कराने के आरोप में दोषी ठहराते हुए साढ़े तीन साल की कैद की सजा सुनाई। साथ ही, कोर्ट ने रिंकी पर 30 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
कोर्ट ने इस मामले में कहा कि वादिनी पिंकी द्वारा राज्य सरकार से यदि कोई राहत राशि प्राप्त की है, तो उसे वापस लिया जाए। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि भारतीय समाज में विवाहेत्तर संबंधों और लिव-इन रिलेशनशिप के मामलों की संख्या बढ़ रही है, जो कानून व्यवस्था के लिए एक नई चुनौती बन रहे हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि कई बार महिलाओं द्वारा कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जाता है, खासकर जब वे लंबे समय तक अवैध संबंधों में रहती हैं और बाद में अचानक अपने पूर्व साथी पर रेप और अन्य गंभीर आरोप लगा देती हैं। इस मामले में भी एससी एसटी एक्ट और रेप के आरोपों का दुरुपयोग किया गया था।
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब वादिनी ने 3 जून को मोहनलालगंज थाने में दीपक के खिलाफ रेप और एससी एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी। वादिनी का दीपक के साथ 5 साल पुराना प्रेम संबंध था। वादिनी ने आरोप लगाया था कि दीपक ने शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए थे और 30 मई को दीपक के घर पर उसके साथ मारपीट की।
लेकिन जांच में यह सामने आया कि वादिनी ने मेडिकल जांच से इंकार कर दिया था, और विवेचना में पता चला कि शारीरिक संबंध घटना वाले दिन नहीं बने थे। दीपक ने फरवरी 2025 में किसी अन्य महिला से विवाह कर लिया था, जिसके बाद वादिनी ने दीपक से बदला लेने के लिए फर्जी रेप और एससी एसटी का मुकदमा दर्ज कराया।
कोर्ट ने पाया कि इस मामले में कोई रेप का मामला नहीं बनता और यह स्पष्ट रूप से दीपक के वैवाहिक जीवन को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया था।









