उत्तराखंड के जिला पौड़ी गढ़वाल में कोट ब्लॉक के स्थानीय लोगों ने सीता माता परिपथ (सर्किट) समिति का निर्माण कर पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने की शुरुआत कर दी है. ऐसे में इस यात्रा की डोली देवप्रयाग स्नान के बाद कोटसाड़ा रात्रि विश्राम के लिए पहुंच गई है. सीता माता सर्किट परिपथ यात्रा के अध्यक्ष सुनील लिंगवाल ने बताया कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और क्षेत्र की धार्मिक महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिये बीते वर्ष इस यात्रा का आयोजन किया गया था. इस वर्ष भी यात्रा का देवप्रयाग से शुरुआत की गई है. आगे उन्होनें बताया कि यह डोली देवप्रयाग संगम में स्नान करने के बाद रघुनाथ मंदिर पहुंची, रघुनाथ मंदिर से विधाकोटी और मुछियाली पहुंची. मुछियाली में मां सीता का 600 वर्ष पुराना मंदिर है जिसका प्रचार प्रसार कर सभी तक इसकी जानकारी पहुंचाई जाएगी.
आपको बता दें कि समिति के संयोजक अनसूया प्रसाद सुन्द्रियाल ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं की बात की जाए तो जिस तरह से अयोध्या में भगवान श्री राम को पूजा जाता है उसी तर्ज पर सितोंस्यू क्षेत्र में मां सीता को पूजा जाता है, आगे उन्होनें कहा कि इसकी धार्मिक मान्यताओं को जन-जन तक पहुंचाना जरूरी है. जिस तरह से लोग आज देश के विभिन्न राज्यों से अयोध्या पहुंच रहे हैं आने वाले समय में लोग मां सीता के दर्शन के लिए सितोंस्यू पहुंचेंगे. सितोंस्यू वही क्षेत्र है जहां पर लक्ष्मण और महर्षि वाल्मीकि का मंदिर और विधाकोटी स्थित है और उसे एक सर्किट के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है.
ऐसे में आज देवप्रयाग से इस यात्रा की शुरुआत की गई है जो की मुख्य पड़ाव होते हुए रात्रि विश्राम के लिए कोटसाड़ा पहुंची है. क्षेत्र के सभी लोगों का प्रयास है की मां सीता का एक भव्य मंदिर का निर्माण किया जाए ताकि अयोध्या के तर्ज पर मां सीता के मंदिर को भी एक नई पहचान मिल सके. इस मंदिर के निर्माण के बाद जहां धार्मिक पर्यटन के रूप में क्षेत्र का विकास होगा. यहां पर पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी साथ ही आसपास के जो लोग हैं. उनका व्यवसाय बढ़ेगा उनकी आर्थिक में भी वृद्धि होगी साथ ही जिस तरह से ग्रामीण इलाकों से पलायन हो रहा है. उसे पर भी अंकुश लगेगा.