
सरकार ने भारत के अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में एक बड़ा बदलाव करते हुए GST दरों का पुनर्गठन और संरचनात्मक सुधार लागू किए हैं। 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के संकेत से लेकर बुधवार रात को सभी राज्यों और केंद्र सरकार की मंजूरी तक, यह कदम भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता और समावेशी आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने का प्रयास है।
मुख्य सुधार और लाभ
ये सुधार दर पुनर्गठन, वर्गीकरण विवादों का समाधान, उल्टी कर संरचना सुधार, और व्यापार सुविधा पर केंद्रित हैं। रिफंड प्रक्रिया को तेज करना, रजिस्ट्रेशन सरल बनाना और रिटर्न फाइलिंग को आसान करना, कर प्रणाली को पारदर्शी और विकास-उन्मुख बनाता है।
उपभोक्ताओं और मध्यम वर्ग को राहत
आवश्यक वस्तुएं, खाद्य एवं कृषि उत्पाद, वस्त्र, दवाइयां, ऑटोमोबाइल और अन्य उत्पादों पर कर दरों में कमी से मध्यम वर्ग और किसानों को राहत मिलेगी। अनुमानित ₹1-1.2 लाख करोड़ नागरिकों के हाथों में आएंगे, जिससे GDP में कम से कम 0.5% की वृद्धि होने की संभावना है।
त्योहारी सीजन में मांग को बढ़ावा
त्योहारों के मौसम से पहले लागू होने वाले ये सुधार खपत बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। बढ़ी हुई खपत उत्पादन, निजी निवेश और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करेगी।
डुअल-रेट संरचना: 5% और 18%
खाद्य एवं रोज़मर्रा की FMCG वस्तुएं अब सस्ती और सुलभ होंगी। 28% स्लैब हटने से consumer electronics, ऑटो, निर्माण और RE सेक्टर में लागत घटेगी। कृषि उपकरण और रसायनों पर 5% दर से किसानों को लाभ मिलेगा।
स्वास्थ्य और बीमा में सस्ती सुविधाएँ
33 जीवन रक्षक दवाइयां अब 0% GST पर उपलब्ध होंगी। जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर भी GST छूट दी गई है, जिससे नागरिकों को सीधे लाभ मिलेगा।
उद्योग और MSMEs के लिए लाभ
मुख्य इनपुट की दरों को अंतिम उत्पादों के अनुरूप लाने से वर्किंग कैपिटल ब्लॉकेज कम होगा। MSMEs को सरल रजिस्ट्रेशन, तेज रिफंड और कम compliance बोझ मिलने से formal economy में शामिल होना आसान होगा।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा और संरचनात्मक सुधार
मध्यवर्ती सेवाओं को निर्यात मान्यता देने से भारतीय सेवाओं की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। उद्योग पर यह जिम्मेदारी है कि लाभ सीधे उपभोक्ता तक पहुंचे। ये सुधार भारत को आत्मनिर्भर भारत, Make in India और Make for the World के लक्ष्यों के करीब लाते हैं।









