
कहते हैं कि कुत्तों से वफादार और कोई जानवर नहीं होता है. अगर आपके घर में कोई भी नहीं हैं, तो आप अपना घर कुत्तों के भरोसे छोड़कर जा सकते हैं. वो आपकी घर का वैसे ही ध्यान रखेंगे,जैसे घर का आपका कोई सदस्य रखता हो….कुछ ऐसा ही हुआ हैं आगरा में जहां…
दो मासूम भाई-बहनों को स्कूल ले जाने और वापस लाने की जिम्मेदारी दो कुत्ते निभा रहे हैं. मासूमों द्वारा खिलाई गई सूखी रोटी ने कुत्तों में इतना प्रेम भर दिया है कि जब तक भाई – बहन पढ़ते हैं तो वो भी भूखे प्यासे स्कूल के गेट पर बैठे रहते हैं. जानवर और इंसान का यह अनोखा प्यार क्षेत्र में चर्चा का विषय बन चुका है.
पिता आजीविका के लिए घर से दूर परदेस गए और बच्चों को पढ़ाने के लिए मां ने घरों में चूल्हा-चौका और झाड़ू पोंछा करना शुरू कर दिया.घर पर अकेले बच्चों को स्कूल जाने और लौटने में डर लगता था.दिन भर घर पर अकेले रहने वाले मासूमों के द्वारा प्यार से जूठी रोटी खिलाने से मोहल्ले के आवारा कुत्तों को उनसे इस कदर लगाव हो गई कि अब वो उनके बिना एक मिनट रहने को तैयार नहीं हैं. सुबह बच्चों को स्कूल तक छोड़ने के बाद गेट पर घंटों भूखे प्यासे इंतजार करते हैं और छुट्टी होने पर उन्हें वापस घर कुत्ते छोड़ने भी जाते हैं. लोग इस दोस्ती को देख कर कई दशक पहले आई फिल्म तेरी मेहरबानियां की कहानी से जोड़ कर लोगों को सुनाते हैं.
मासूम बच्चों और आवारा कुत्तों की दोस्ती की यह बेमिसाल कहानी आगरा के गैलाना रोड की है.मासूम जय ने बताया कि मम्मी सुबह जल्दी उठ कर उन्हें तैयार कर काम पर चली जाती हैं. स्कूल के समय सड़क के रास्ते जाने में डर लगता था. दिन में घर पर अकेले रहने के समय मोहल्ले के पलिया और सामू घर के पास आ जाते थे.हमने अपनी रोटी में से थोड़ी रोटी उन्हें खिलाई और फिर यह हमारे साथ रहने लगे.इतना ही नहीं दिन भर साथ खेलते थे.और मां के आने पर दोनों छत पर जाकर सो जाते थे
वहीं डायरेक्टर प्रीमियर इंटरनेशनल स्कूल डा सुमेधा सिंह ने बताया कि बच्चों की इन कुत्तों से बड़ी गहरी दोस्ती है. यह इनके साथ आते हैं और गेट पर ही बैठे रहते हैं.








