माता-पिता को खो चुके मासूम बच्चों को स्कूली शिक्षा दिलाएगा अडानी समूह, त्रासदी के बीच संवेदना का स्पर्श

भीषण दुर्घटनाएं हमेशा ही दिल को झकझोर देती हैं. इन दुर्घटनाओं का असर गरीब और हाशिए पर जीवन बिता रहे लोगों के लिए और भी कष्टकारी साबित होता है. ऐसा ही कुछ ओडिशा के बालासोर जिले में तीन ट्रेनों के बीच हुई भयानक दुर्घटना में सामने आया है. इस दुर्घटना ने कई मासूम बच्चों से उनके माता-पिता के स्नेह ही छांव को छीन लिया है.

डेस्क : भीषण दुर्घटनाएं हमेशा ही दिल को झकझोर देती हैं। इन दुर्घटनाओं का असर गरीब और हाशिए पर जीवन बिता रहे लोगों के लिए और भी कष्टकारी साबित होता है। ऐसा ही कुछ ओडिशा के बालासोर जिले में तीन ट्रेनों के बीच हुई भयानक दुर्घटना में सामने आया है। इस दुर्घटना ने कई मासूम बच्चों से उनके माता-पिता के स्नेह ही छांव को छीन लिया है। इस दर्दनाक हादसे के बीच अदानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने मदद का हाथ बढ़ाया है। उन्होंने अपने माता-पिता को खो चुके मासूम बच्चों की स्कूली शिक्षा की जिम्मेदारी लेने का संकल्प लिया है। यह कदम अदानी समूह के मूल दर्शन से प्रभावित है जो करुणा, जिम्मेदारी और सततता का खूबसूरत मेलजोल है।

गौतम अडानी दर्शन के तौर पर शिक्षा को एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में देखते हैं। वह मानते हैं कि पढ़ाई-लिखाई के जरिए ही समाजिक प्रगति मुमकिन हो सकती है। इसलिए प्रभावित बच्चों की शैक्षिक जिम्मेदारियों को उठाने का संकल्प लेकर, गौतम अडानी ने युवा पीढ़ी को सशक्त बनाने में अपने भरोसे को रेखांकित किया है। उनके इस कदम से, प्रभावित बच्चे कठिनाई के जीवन से बाहर निकल सकेंगे। वैसे मदद का यह तरीका एक प्राचीन चीनी कहावत को मजबूती से साकार करता है। इस कहावत का भावर्थ कुछ ऐसे है कि “एक आदमी को अगर एक मछली देंगे तो उसे एक दिन के लिए भूखा रहने से बचा लेंगे; लेकिन अगर एक आदमी को मछली पकड़ना सिखा देंगे तो उसे जीवन भर के लिए भूखा रहने से बचा सकेंगे।”

यह पहला मौका नहीं है जब अडानी समूह मदद के लिए सामने आया है। अडानी ने गुजरात में मोरबी पुल ढहने में अनाथ हुए बच्चों को भी आर्थिक सहायता प्रदान की थी। साल 2022 में 30 अक्टूबर को, मोरबी शहर में 1880 में बना एक केबल सस्पेंशन ब्रिज ढह गया। पुल टूटने से लोग मच्छू नदी में गिर गए। इस हादसे में महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 135 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए।


मोरबी पुल ढहने की त्रासदी के बाद अदानी फाउंडेशन ने 20 बच्चों के पालन-पोषण और उन्हें शिक्षा प्रदान करने के लिए 5 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई। इन पीड़ितों में एक अजन्मा बच्चा भी शामिल है, जिसने आपदा में अपने एक अभिभावक को खो दिया था।

गौतम अडानी की पत्नी और अदानी फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉक्टर प्रीति अडानी का कहना है कि “इन दुर्घटनाओं में सबसे गंभीर रूप से बच्चे प्रभावित होते हैं, कई बच्चों को तो इस बात की जानकारी भी नहीं होती है कि उनके माता-पिता अब कभी घर वापस नहीं आएंगे। भारी दुःख की इस घड़ी में, कम से कम हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि इन बच्चों को बढ़ने, उचित शिक्षा प्राप्त करने और जीवन जीने का भरपूर अवसर मिले। यही कारण है कि हमने भविष्य में उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक कोष स्थापित करने का फैसला लिया है।” इसी तरह, नवंबर 2022 में, गौतम अडानी ने मनुश्री नाम की एक छोटी लड़की के इलाज में मदद की थी। मनुश्री लखनऊ के एक अस्पताल में अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रही थी।

अडानी समूह अपनी मदद को सिर्फ रुपए-पैसे तक ही सीमित नहीं रहना चाहता। इसके बजाय समूह का झुकाव इस तरह से मदद करने का है जो जिंदगी को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो। यह झुकाव अडानी समूह की तरफ से मदद के लिए बढ़ाए गए हाथ में स्पष्ट नजर आता है। तत्काल राहत प्रदान करने के बजाय, उन्होंने प्रभावित बच्चों की लंबी अवधि की भलाई और विकास में निवेश करने का रास्ता चुना है। इस तरह उन्हें एक उज्जवल भविष्य के लिए तैयार किया जा सकेगा। यह अडानी के इस विश्वास को दर्शाता है कि परोपकार का असल मतलब है कि जिंदगी में कोई सार्थक बदलाव लाया जा सके। मतलब मदद ऐसे की जाए जिससे मदद पाने वाले का भरपूर विकास हो सके।

अधिक से अधिक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए अदानी फाउंडेशन के मिशन का ही नतीजा है कि पूरे भारत में विभिन्न मुफ्त और सब्सिडी वाले स्कूलों की स्थापना की गई है। कई स्मार्ट लर्निंग प्रोग्राम, साथ ही सरकारी स्कूलों को गोद लेने की योजनाओं को दूर-दराज की जगहों तक पहुंचाया गया है। इस सबका सबब बस यही है कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच सकें। यह बच्चों के लिए एक खुशगवार वातावरण प्रदान करके आंगनवाड़ियों और बालवाड़ियों की भी मदद करता है। देश के भविष्य को संवारने में अदानी समूह का यह संवेदना से भरपूर स्पर्श है।

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