
वाराणसी- महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी के नेता अबू आज़मी के बयान के बाद औरंगजेब के नाम पर विवाद गहराता जा रहा है। पूरे देश में औरंगजेब के नाम की सुर्खिया बनी हुई है, वही महाराष्ट्र के बाद औरंगजेब के नाम पर काशी में विवाद शुरू हो गया है। दअरसल वाराणसी के लक्सा थाना क्षेत्र के औरंगाबाद मोहल्ला का नाम बदलने की मांग की गई है। विश्व वैदिक सनातन न्यास के पदाधिकारियों ने इस मांग को लेकर वाराणसी के नगर आयुक्त को पत्रक सौंपा है। न्यास के प्रदेश संगठन मंत्री अश्वनी त्रिपाठी ने औरंगजेब को इस्लामिक आतताई बताते हुए स्वतंत्र भारत से गुलामी काल के इस्लामिक कलंक को हटाने की बात कही है।

कांग्रेस का अभेद किला हुआ करता था वाराणसी का औरंगाबाद क्षेत्र, बनती थी प्रदेश और देश की राजनीति की रणनीति
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद में स्थित औरंगाबाद क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। क्षेत्र में पूर्व रेल मंत्री कमलापति त्रिपाठी का औरंगाबाद हाउस से प्रदेश और देश में कांग्रेस अपनी राजनैतिक रणनीति तैयार करती थी। कहा जाता है, कि औरंगाबाद हाउस से जो निर्णय लिया जाता उसे कांग्रेस के नेता उसे पत्थर की लकीर मानकर उस पर अमल करती। अब मौजूदा समय में देश की राजनीति में आए बदलाव के बाद औरंगाबाद हाउस का भी पुराना रुतबा कम हो गया है। उसी औरंगाबाद क्षेत्र के नाम को बदले जाने की मांग उठने लगी है।

औरंगाबाद के नाम को बदलने के लिए महापौर और नगर आयुक्त को सौंपा गया पत्रक
वाराणसी में विश्व वैदिक सनातन न्यास के द्वारा औरंगाबाद मोहल्ला का नाम बदलने के लिए नगर आयुक्त अक्षत वर्मा सहित महापौर को पत्रक सौंपा और इसकी एक प्रतिलिपि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजा गया। नाम बदले जाने को लेकर नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि एक संगठन के द्वारा मगर निगम में औरंगाबाद के नाम को बदलने की मांग को लेकर पत्रक दिया गया है। किसी भी क्षेत्र या मोहल्ले के नाम को बदले जाने के लिए पहले नगर निगम के कार्यकारणी की बैठक में एक प्रस्ताव लाया जाता है, जब यह प्रस्ताव कार्यकारणी से पास होता है तब उसे शासन को भेजा जाता है। शासन इस प्रस्ताव पर निर्णय लेता है, कि नाम बदला जाना है या नहीं। फिलहाल औरंगाबाद का नाम बदले जाने की मांग को संज्ञान में लिया गया है और संबंधित विभाग को इसे भेजा गया है।

रिपोर्ट : नीरज कुमार जायसवाल