लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा उपचुनाव में आमने सामने होंगे सपा और बीजेपी

लोकसभा चुनाव के बाद एकबार फिर से भाजपा और सपा-कांग्रेस गठबंधन आमने सामने होंगे.यूपी में 10 विधानसभा सीट खाली हुई हैं.इन सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर पार्टियों में मंथन शुरू हो गया है.पार्टियां इन सीटों पर जीतकर अगले विधानसभा चुनाव के लिए संदेश देने चाहेंगी.लोकसभा में हारी भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है.पार्टी इन सीटों पर जीतकर यह दिखाने की कोशिश करेगी कि अभी भी भाजपा पर जनता का भरोसा है.जबकि विपक्ष इन सीटों को 2027 विधानसभा चुनाव से जोड़ चल रही है.

अखिलेश यादव ने कन्नौज से सांसद चुन लिए गए हैं.ऐसे में उनकी करहल विधानसभा सीट पर सबकी नजरें गड़ी हुई हैं.माना जा रहा है कि इस सीट पर अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव को मैदान में उतारा जा सकता है.इसी तरह सपा के मिल्कीपुर विधानसभा से विधायक अवधेश प्रसाद भी अयोध्या से सांसद बन गए हैं.गाज़ियाबाद से विधायक अतुल गर्ग, हाथरस से विधायक अनूप वाल्मीकी, अम्बेडकरनगर के कटेहरी से विधायक लालजी वर्मा, फूलपुर से प्रवीण पटेल, मिर्ज़ापुर के मझवां से डॉ विनोद बिंद भदोही के सांसद चुने गए हैं, मीरापुर से आरएलडी विधायक चंदन चौहान बिजनौर के सांसद चुने गए हैं…इसके अलावा सीसामऊ सीट से सपा विधायक इरफान सोलंकी को आगजनी के केस में 7 साल की सजा सुनाई गई है.जिससे उनकी सदस्याता भी चली गई है. इस प्रकार सपा के पांच और भाजपा के पांच सीटें खाली हैं.जहां उपचुनाव होने हैं.इस चुनाव में दोनों ही खेमें की इज्जत दांव पर लगी हुई है.

बता दें कि यूपी में खाली हुई विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सपा और भाजपा दोनों का रणनीतिक परीक्षण होगा.खाली सीटों में पांच सपा की है और पांच भाजपा की ऐसे में भाजपा अपने सीटों के साथ में सपा के सीटों को भी जीतक अपना डैमेज कंट्रोल करना चाहेगी.वहीं सपा लोकसभा में अपनी जीत की लहर को बरकरार रखना चाहेगी।

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