
सेना में भर्ती के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भर्ती प्रक्रिया में नए बदलाव किए है। जिसके तहत ‘अग्निपथ भर्ती योजना’ का ऐलान किया गया है। अग्निपथ योजना के तहत युवाओ को सेना में चार साल तक सेवा देने का मौका मिलेगा। इस योजना के तहत सेना में शामिल होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा। इसका मकसद सेना को ज्यादा यंग बनाना है। इसके अलावा इसकी मदद से बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को भी कम किया जा सकेगा। सरकार भले इस स्कीम के फायदे गिना रही है, लेकिन एक्सपर्ट्स ने इसमें कई तरह की खामियों की ओर भी इशारा किया है।
आइए, यहां जानते हैं विशेषज्ञों की राय…
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार छह महीने की सेना के लिए युवाओ की ट्रेनिंग कम है। विशेषज्ञों के अनुसार, सैनिको के अंदर देश के लिए समर्पण, मनोबल कायम करने में और एक अच्छा सैनिक बनने में छह से सात साल लग जाते हैं। इन दिनों बहुत ही सुपर सोफिस्टिकेटेड इक्विपमेंट आ गए हैं। ये इक्विपमेंट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस होते हैं। छह महीने की ट्रेनिंग में ये उन इक्विपमेंट को इस तरह हैंडल करना सीख लें कि जंग जीत ली जाए तो यह भूल होगी।
वही, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि डिफेंस बजट में वेतन और पेंशन पर खर्च बढ़ता जा रहा था। सरकार पर दबाव था। वह किसी तरह पेंशन को कम करना चाहती थी। दूसरा प्रेशर औसत उम्र को लेकर था। सरकार सेना में औसत आयु 26 साल से घटाकर 20-21 साल करना चाहती थी। स्कीम से ये दोनों मकसद हल हो रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार कुछ युवा सिर्फ पैसो के लिए भी इस योजना का इस्तेमाल कर सकते है। उन्होंने कहा कि फौज के अंदर नाम, नमक, निशान के काफी मायने होते हैं। जिस जवान को पता है कि उसकी चार साल की ही नौकरी है उसमें सामान्य जवानों की तरह जज्बा नहीं होगा। स्कीम से निकलने वाले 75 फीसदी जवानों के भविष्य को अनिश्चितता का खतरा होगा।









