Ahmedabad Plane Crash: 135 में से 133 की मौत… 1988 में हुआ था सबसे भयानक हादसा, सिर्फ बचे थे 2 यात्री

2025 में अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास Air India फ्लाइट क्रैश की घटना ने 1988 की भीषण विमान दुर्घटना की याद दिला दी है। जानिए 1988 की उस दुर्घटना में क्या हुआ था, जिसमें 133 लोगों की जान गई थी।

Ahmedabad Plane Crash: आज गुरुवार दोपहर एक भीषण हादसे में एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, जो अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रही थी, वह मेघानीनगर क्षेत्र में टेक-ऑफ के कुछ ही देर बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। विमान में 242 यात्री सवार थे। हादसे की पुष्टि राज्य पुलिस नियंत्रण कक्ष ने की है। विमान के गिरते ही उसमें आग लग गई और इलाके में अफरा-तफरी मच गई। दमकल की कई गाड़ियाँ तुरंत मौके पर पहुँचीं और आग पर काबू पाने का प्रयास जारी है।

इस हादसे ने एक पुराने जख्म को फिर से हरा कर दिया—19 अक्टूबर 1988 का वह काला दिन, जब अहमदाबाद एयरपोर्ट पर एक और भीषण विमान दुर्घटना हुई थी।

1988 का अहमदाबाद प्लेन क्रैश

19 अक्टूबर 1988 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-113 ने मुंबई से अहमदाबाद के लिए उड़ान भरी थी। लैंडिंग के समय विमान रनवे से कुछ पहले ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे में विमान में सवार 135 लोगों में से 133 की मौत हो गई थी। यह दुर्घटना इंडियन एयरलाइंस के इतिहास की सबसे घातक मानी जाती है और भारत के विमानन इतिहास में चौथी सबसे भयावह एयर क्रैश के रूप में दर्ज है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, दुर्घटना का कारण पायलट की ओर से कम दृश्यता के बावजूद लैंडिंग की कोशिश करना और समय पर रेडियो अलर्ट का जवाब न देना माना गया था। इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था और एयर सेफ्टी को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए थे।

2025 का हादसा और 1988 की समानता

  • स्थान: दोनों हादसे अहमदाबाद एयरपोर्ट या उसके आस-पास ही हुए।
  • प्रभाव: दोनों में ही बड़ी संख्या में यात्रियों की जान पर खतरा बना।
  • जांच: 1988 के हादसे के बाद DGCA और एयरलाइंस को कई सिफारिशें दी गई थीं; 2025 की दुर्घटना के बाद भी DGCA ने तुरंत जांच के आदेश दे दिए हैं।
  • सरकारी प्रतिक्रिया: दोनों घटनाओं में केंद्र सरकार ने तत्काल सहायता और राहत कार्यों के लिए टीमें भेजीं।

अब आगे क्या?

Air India की फ्लाइट AI-171 के इस हालिया हादसे में राहत-बचाव कार्य जारी है। गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात के मुख्यमंत्री और अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर से बात की है और NDRF तथा केंद्र सरकार की मदद का भरोसा दिलाया है।इस दुखद घटना ने 1988 के दर्दनाक इतिहास की याद ताजा कर दी है और भारत में एविएशन सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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