अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट: 49 में से 38 दोषियों को मौत की सजा, 26 जुलाई 2008 को दहशतगर्दों ने मचाई थी तबाही, 56 लोगों की हुई थी मौत

बुलंदशहर. 26 जुलाई 2008 को गुजरात के अहमदाबाद में 70 मिनटों के बीच हुए 22 धमाके कर दहशतगर्दों ने जो तबाही मचाई उसकी सज़ा का फैसला आज आ गया है। साल 2008 में 22 जुलाई को जिधर देखो उधर तबाही का मंजर था। 56 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो गई। 200 से ज्‍यादा घायल हुए। कुल 24 बम लगाए गए थे।

बुलंदशहर. 26 जुलाई 2008 को गुजरात के अहमदाबाद में 70 मिनटों के बीच हुए 22 धमाके कर दहशतगर्दों ने जो तबाही मचाई उसकी सज़ा का फैसला आज आ गया है। साल 2008 में 22 जुलाई को जिधर देखो उधर तबाही का मंजर था। 56 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो गई। 200 से ज्‍यादा घायल हुए। कुल 24 बम लगाए गए थे।

करीब 14 साल बाद, 2008 अहमदाबाद सीरियल बम ब्‍लास्‍ट केस में स्‍पेशल कोर्ट का फैसला आया है। अदालत ने 49 में से 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई है। बाकी 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली है। बता दें कि धमाकों की जिम्‍मेदारी हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्‍लामी ने ली थी। अहमदाबाद को दहलाने वाले सीरियल ब्लास्ट मामले में गुजरात की विशेष अदालत के अहम फैसले में जिन लोगों को फांसी की सज़ा मुकर्रर की गई है उनमें एक बुलंदशहर के थाना औरंगाबाद के गांव का भी मूल निवासी है।

भारत समाचार की टीम आज कोर्ट में दोषी माने गए शकील के पैतृक गांव पहुंची जहां ग्रामीणों ने भारत समाचार को बताया कि शकील के पिता करीब 20 साल पहले गांव छोड़ गए थे, हालांकि ग्रामीण यह भी दावा कर रहे हैं कि ग्रामीणों के प्रति शकील के परिवार व्यवहार एक अच्छे पड़ोसी का था और उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि इस गांव का लड़का इस तरह की देशविरोधी वारदात में शामिल हुआ है।

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