अकबरनगर प्रथम व द्वितीय में अवैध निर्माण के खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा की जा रही कार्रवाई के विरुद्ध माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गयी याचिका में याचिकाकर्ता को न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली। साथ ही जिनके निर्माण पूर्व में ध्वस्त किये जा चुके हैं, उन्हें भी कोई राहत नहीं मिली है।
न्यायालय ने विष्णु स्वरूप चौरसिया की तरफ से दायर की गई याचिका में सुनवाई करते हुए सरकारी भूमि पर किए गए सभी व्यावसायिक एवं आवासीय निर्माण को अनाधिकृत एवं अवैध करार दिया। न्यायालय ने आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता दिनांक-04.03.2024 की मध्य रात्रि तक स्वयं अपने निर्माण हटा लें। इसके उपरान्त लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा सकती है।