उत्तर प्रदेश की राजनीति में सियासी पारा तो हमेशा से ही हाई होता है। ऐसे ही आज भी उत्तर प्रदेश की राजनीति का सियासी शनिवार है। पूर्वांचल की राजनीतिक जमीन को साधने के लिए दो बड़े नेता राजनीतिक मैदान में उतर रहे हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ गाजीपुर से राजनीतिक माहौल को गरमाते दिखेंगे। तो वहीं, अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी की भूमि कहीं जाने वाली आजमगढ़ से पूर्वांचल की राजनीति को साधने की कोशिश करते दिखाई देंगे। दरअसल, उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं। इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी हुई है। अभी तक चुनावी माहौल को गरमाने में भारतीय जनता पार्टी ने बढ़त बनाई हुई थी। लेकिन अखिलेश यादव भी अब मैदान में उतर गए हैं।
लोकसभा में दौड़ा PDA फैक्टर
वही, आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स के जरिए यूपी की राजनीति में साइकिल दौड़ाने वाले अखिलेश यादव एक बार फिर माहौल को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश करते नजर आ रहे हैं। वहीं, लोकसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना दबदबा कायम करने की कोशिश में है। विधानसभा उपचुनाव एक बड़े मौके के तौर पर दिख रहा है। सीएम योगी के साथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक भी इस अभियान में जोर-जोर से जुटे हुए हैं।
पूर्वांचल का रहा है राजनीतिक में अलग अंदाज
पूर्वांचल की राजनीति अलग तरह की है. यहां से सीएम योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनकर आते हैं। इसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी पूरे दमखम के साथ यहां पांव जमा पाने में कामयाब नहीं हो पाई है। इसका सबसे बड़ा कारण पिछड़ा, दलित वोट बैंक है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पिछड़ा, दलित वोट बैंक को साधने में कामयाबी हासिल की। इसका असर चुनावी परिणाम में दिखा। जहां 2014 में भाजपा ने यूपी की 80 में से 71 सीटों पर जीत की थी। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 62 सीटों पर जीत मिली।
हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी के अन्य इलाकों के साथ-साथ पूर्वांचल और अवध में भी करारी हार का सामना करना पड़ा। इसका कारण अखिलेश यादव की पीडीए पॉलिटिक्स रही। पिछड़ा और दलित उम्मीदवारों के जरिए अखिलेश ने मुस्लिम-यादव की राजनीति के दायरे को तोड़ने का प्रयास किया। इसमें वे कामयाब भी हो गए। हालांकि, अब विधानसभा उपचुनाव भाजपा के लिए एक बड़े मौके के तौर पर है। इसको लेकर पार्टी बड़ा प्रयास करती नजर रही है।
पूर्वांचल की चार सीटों पर उपचुनाव
भारतीय जनता पार्टी जहां एक बार फिर प्रदेश के राजनीति में अपना पांव जमाने की कोशिश में है। वहीं, समाजवादी पार्टी बीजेपी को कोई मौका देने के मूड में नहीं है। इसलिए, अखिलेश यादव भी पूरे जोर-शोर से उपचुनाव के मैदान में उतरने दिख रहे हैं। दरअसल, पूर्वांचल और अवध बेल्ट की चार सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होना है। इसमें कटेहरी, मिल्कीपुर, फूलपुर और मझवां विधानसभा सीटें हैं। इन सीटों पर पूर्वांचल की राजनीति को साधकर अपना वर्चस्व जमाने की कोशिश की जा रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के कार्यक्रम को इसी नजरिये से जोड़कर देखा जा रहा है।
दांव पर भाजपा की प्रतिष्ठा
वही यूपी की राजनीति में वर्चस्व कायम करने के लिए भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी अपने-अपने मुद्दों को जनता के बीच स्थापित करने में जुट गई है। सीएम योगी आदित्यनाथ एक बार फिर कानून व्यवस्था और महिला अपराध के मुद्दों को लेकर राजनीति करते दिख रहे हैं। वहीं, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले के मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर वह विपक्ष की इसमें चुप्पी का मसला भी छेड़ रहे हैं। अयोध्या गैंगरेप और कन्नौज रेप कांड में समाजवादी पार्टी नेताओं की संलिप्तता का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया गया है। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में लखनऊ के गोमतीनगर छेड़छाड़ कांड पर जो बयान दिया था, वह भी चर्चा में है। इसमें उन्होंने एक यादव और एक मुस्लिम आरोपी के नाम विधानसभा में लिए थे।
डिफेंसिव मोड में समाजवादी
इसके साथ ही समाजवादी पार्टी अयोध्या और कन्नौज केस में डिफेंसिव मोड में नजर आई। वही अयोध्या मुद्दे पर जहां समाजवादी पार्टी आरोपी मोईद खान का डीएनए टेस्ट कराने का मुद्दा उठाकर मामले की लीपापोती में लगी रही। इसके अलावा, कन्नौज रेप कांड के मुद्दे पर आरोपी नवाब सिंह यादव से पूरी तरफ पल्ला झाड़ लिया गया। वही अयोध्या कांड में आरोपी मुस्लिम था तो कन्नौज कांड का आरोपी यादव जाति से था। ऐसे में भाजपा ने अखिलेश यादव पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया। इसके बाद अखिलेश यादव ने गोमतीनगर छेड़छाड़ कांड के यादव जाति के आरोपी पवन यादव को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बुलाकर वर्ग को साथ खड़ा होने का बड़ा संदेश देने का प्रयास किया। अखिलेश पीडीए राजनीति के साथ-साथ MY फैक्टर यानि की मुस्लिम+यादव समीकरण को भी साधने की कोशिश करते दिखे हैं।