लेटरल एंट्री को लेकर अखिलेश ने आंदोलन का किया ऐलान, मायावती ने मामले को संविधान के खिलाफ बताया

लेटरल एंट्री के जरिए सीधी भर्ती को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसका खुला विरोध किया है।

केंद्र सरकार ने हाल ही में लेटरल एंट्री के जरिए ज्वाइंट सेक्रेटरी डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। अब इसको लेकर सियासत शुरू हो गई है। सियासी पार्टियों द्वारा लेटरल एंट्री के जरिए सीधी भर्ती को लेकर विरोध किया जा रहा है। इसी बीच अखिलेश यादव और मायावती ने इसका खुला विरोध किया है। अखिलेश यादव ने जहाँ इस मुद्दे को लेकर जन आंदोलन की चेतावनी देते हुए 2 अक्टूबर से आंदोलन का ऐलान किया है। वहीं मायावती ने कहा कि दलितों, शोषितों का हक मारा जा रहा है। साथ ही इस मुद्दे को संविधान के खिलाफ बताया है।

आंदोलन का किया ऐलान

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने X पर पोस्ट शेयर करते हुए लेटरल एंट्री को लेकर बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी अपनी विचारधारा के साथियों को पिछले दरवाज़े से UPSC के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साज़िश कर रही है, इसके लिए अब बीजेपी के खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है।

PDA से आरक्षण छीनने की साजिश

अखिलेश यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी की सारी चाल PDA से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अब जब बीजेपी ये जान गई है कि संविधान को ख़त्म करने की भाजपाई चाल के ख़िलाफ़ देश भर का PDA जाग उठा है तो वो ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है। साथ ही कहा कि ये देश के खिलाफ एक बड़ी साजिश है।

गैर-कानूनी और असंवैधानिक मामला- मायावती

दूसरी तरफ बसपा सुप्रीमो मायावती ने X पर पोस्ट शेयर करते हुए संविधान का उल्लंघन बताया है। उनहोंने कहा कि संयुक्त सचिव, निदेशक एवं उपसचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती का फैसला सही नहीं है, क्योंकि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारी पदोन्नति के लाभ से वंचित हो जाएंगे। इसके अलावा उन्होंने कहा कि इन सरकारी नियुक्तियों में SC, ST व OBC वर्गों के लोगों को उनके कोटे के अनुपात में अगर नियुक्ति नहीं दी जाती है तो यह संविधान का सीधा उल्लंघन होगा। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि इन उच्च पदों पर सीधी नियुक्तियों को बिना किसी नियम के बनाये हुये भरना यह बीजेपी सरकार की मनमानी होगी, जो कि गैर-कानूनी एवं असंवैधानिक होगा।

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