
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि 25 जून 1975 की काली यादें 48 वर्ष बीत जाने के बाद आज भी फिर सिहरन पैदा करती नजर आ रही है. आपातकाल में जहां नागरिक अधिकार छीने गए, वहीं 19 महीनों की यंत्रणा में देशवासी भयाक्रांत रहे थे. असहमति की आवाज पर प्रतिबंध और जबरन लादी गई तानाशाही हुकूमत का विरोध करने वाले वास्तव में भारत के लोकतंत्र रक्षक सेनानी थे. सत्तालिप्सा में लोकतांत्रिक और स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों की अनदेखी अघोषित आपातकाल के संकेत है.
अखिलेश यादव ने कहा कि आज के हालात इमरजेंसी से ज्यादा खराब है. आज सच बोलने पर कार्रवाई होती है. सरकार से सवाल पूछने पर कार्रवाई होती है. भाजपा सरकार में कोई न्याय की उम्मीद नहीं कर सकता है. लोगों के संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों को छीना जा रहा है. संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है. प्रेस की आजादी खतरे में है.
उन्होंने अपने बयान में आगे कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत को बचाने और संविधान तथा लोकतंत्र की रक्षा के लिए समाजवादी शुरू से ही प्रतिबद्ध रहे हैं. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के लिए समाजवादी लड़ते आए हैं. आपातकाल में जिन लोगों ने लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष किया था समाजवादी सरकार में उन लोकतंत्र सेनानियों को 15 हजार रूपए की सम्मान राशि, चिकित्सा, परिवहन की सुविधा के साथ राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार की भी व्यवस्था की गई. यह सब लोकतंत्र रक्षण अधिनियम बनाकर सुनिश्चित किया गया.
अखिलेश ने अपने बयान में आगे कहा कि बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने जो संविधान दिया है वही हमारे लिए यूनिफार्म सिविल कोड है. भाजपा के लोग नफरत फैलाते है. एक दूसरे को आपस में लड़ाकर साजिश कर समाज में खाई पैदा कर रहे हैं. लेकिन अब भाजपा की कोई रणनीति नहीं चलने वाली है. जिस प्रकार से गठबंधन बन रहा है और सभी दल एक हो रहे हैं उससे भाजपा का 2024 में सफाया निश्चित होगा.









