
Prayagraj: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम निर्णय दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी अपने पति से ज्यादा कमा रही है और अपनी ज़िंदगी बखूबी चला रही है, तो वह CrPC की धारा 125 के तहत मेंटेनेंस की हक़दार नहीं होगी। यह आदेश कोर्ट ने गौतम बुद्ध नगर के अंकित साहा की रिवीजन पिटीशन पर दिया।
बता दें जस्टिस मदन पाल सिंह ने फ़ैमिली कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पति को अपनी पत्नी को हर महीने ₹5,000 मेंटेनेंस देने का आदेश दिया गया था। हाई कोर्ट ने कहा कि पत्नी का नौकरी में अच्छा कॅरियर और ₹36,000 महीना कमाना दर्शाता है कि वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है।
कोर्ट के अनुसार, पत्नी ने पहले अपने बेरोज़गार और कम पढ़ी-लिखी होने का दावा किया था, लेकिन कोर्ट के रिकॉर्ड से यह साफ़ हो गया कि वह एक पोस्टग्रेजुएट हैं और वेब डिज़ाइनर के रूप में काम करती हैं। कोर्ट ने इसे गलत बयानबाजी मानते हुए कहा कि जब पत्नी का खुद का स्थिर आय स्रोत हो और परिवार की कोई अतिरिक्त ज़िम्मेदारी न हो, तो वह मेंटेनेंस की हक़दार नहीं हो सकती।
हाई कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि CrPC की धारा 125 के तहत मेंटेनेंस तब दिया जा सकता है, जब पत्नी अपना गुज़ारा नहीं कर पा रही हो। इस मामले में, पत्नी अपनी इनकम से खुद का भरण पोषण कर रही हैं और परिवार की कोई सामाजिक जिम्मेदारी नहीं है। वहीं, पति को अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल और अन्य जिम्मेदारियाँ होती हैं।









