
Allahabad High Court : प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) का पॉक्सो अधिनियम पर एक फैसले में कहा किशोरों के बीच आपसी सहमति से बने प्रेम संबंधों को अपराध बनाना नहीं था. पॉक्सो अधिनियम (POCSO ACT) का उद्देश्य किशोरों के रोमांटिक बंधन को अपराध बनाना नहीं था. कोर्ट ने कहा किशोरों के बीच आपसी सहमति से बने संबंध के तथ्य पर विचार किया जाना चाहिए. पॉक्सो अधिनियम 18 साल से कम उम्र के बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया था.
प्रयागराज – इलाहाबाद हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी , पॉक्सो अधिनियम का उद्देश्य को लेकर टिप्पणी
— भारत समाचार | Bharat Samachar (@bstvlive) November 1, 2023
➡किशोरों के रोमांटिक बंधन को अपराध बनाना नहीं-HC
➡किशोरों के संबंध के मामले में विचार करें-हाईकोर्ट
➡संबंध के तथ्य पर विचार किया जाना चाहिए-हाईकोर्ट
➡आपसी सहमति से बने संबंध के तथ्य पर… pic.twitter.com/o3xEbgkd78
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किशोरों के बीच आपसी सहमति से बने संबंध को लेकर टिपण्णी किया है. कोर्ट ने कहा आजकल पॉक्सो अधिनियम शोषण का एक उपकरण बन गया है. कोर्ट ने कहा ऐसे मामलों में पीड़ित के बयान को नज़रंदाज़ किया जाता है. जबकि आरोपी को जेल में पीड़ा सहने के लिए छोड़ दिया जाता है.
जालौन के मृगराज गौतम की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा था. याची के खिलाफ धारा 363, 366 आईपीसी (IPC) और 7/8 पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज हुई थी. एफआईआर (FIR) याची अधिवक्ता ने फर्जी आधार पर मामले में फंसाने का आरोप लगाया था. कोर्ट ने मामले में आरोपी की संलिप्तता के संबंध सबूत में पीड़ित के बयान को ध्यान में रखते हुए दी जमानत.









