
इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायामूर्ति सौरभ श्याम शमशीरी की अदालत ने कहा कि स्पीडी ट्रायल सिर्फ शिकायतकर्ता का ही नहीं अभियुक्त का भी अधिकार हैं। पिछले 24 सालों से चल रहे अभियुक्त क़े खिलाफ केस को रद्द किया। प्रस्तुत इस मामले में डॉ. मेराज अली और अन्य आवेदक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467 और 468 के तहत कथित रूप से अपराध के मामले में एक FIR दर्ज की गई थी।
जांच करने के बाद 18 नवंबर 2000 को चार्जशीट दाखिल की गई और संज्ञान लिया गया। आवेदकों ने 23 दिसंबर, 2021 को डिस्चार्ज होने के लिए एक याचिका दायर की थी। 9 मार्च, 2022 के आक्षेपित आदेश के माध्यम से जिसे खारिज कर दिया गया।
अदालत ने आपराधिक कार्यवाही को भी रद्द कर दिया साथ ही कोर्ट ने पाया कि आवेदकों के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही में स्पष्ट रूप से दुर्भावना शामिल थी। निजी और व्यक्तिगत रंजिश के कारण आवेदकों से बदला लेने की दृष्टि से एक गुप्त और किसी बुरे उद्देश्य के साथ दुर्भावनापूर्ण तरीके से कार्यवाही शुरू की गई थी।








