
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला विकास अधिकारी गाजियाबाद को 22 अगस्त को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कांट-छांट कर शासनादेश पेश करना, कोर्ट की अवमानना करना लगातार कोर्ट से धोखा करना, कपट करना है। कोर्ट ने रजिस्ट्रार को निर्देश दिया है कि वो इस आदेश को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गाजियाबाद के माध्यम से जिला विकास अधिकारी को तुरंत सूचित करें। बता दें कि ये आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अविनाश चंद गुप्ता और दूसरे याचियों की सुनवाई करते हुए सुनाया है। बता दें कि याची अविनाश चंद गुप्ता व अन्य की ओर से दाखिल याचिका, याचीगण ग्रामीण विकास विभाग के अकाउंट अनुभाग ,गाजियाबाद में कार्यरत थे,
याचियों ने वेतनमान में संशोधन और सेवानिवृत्त में मिलने वाले लाभों के बकाया भुगतान की मांग करते हुए याचिका दाखिल की है, प्रज्ञा श्रीवास्तव, जिला विकास अधिकारी गाजियाबाद ने कोर्ट में 11 अगस्त 1983 के शासनादेश की एक प्रति दाखिल की, यह प्रति लेखा संवर्ग में पदोन्नति की पात्रता से संबंधित एक अनुसूची है, यह जानबूझकर कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश लगती है, जो कि याचियों को लाभ से वंचित करने के लिए की गई है, बता दें कि जिला विकास अधिकारी गाजियाबाद प्रज्ञा श्रीवास्तव ने कोर्ट में 11 अगस्त 1983 के शासनादेश की एक प्रति दाखिल की। यह प्रति लेखा संवर्ग में पदोन्नति की पात्रता से सम्बंधित एक अनुसूची है। यह जानबूझकर कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश लगती हैं। जो याचियों को लाभ से वंचित करने के लिए की गई है।








