इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज एक अहम फैसले पर सुनावई करते हुए कहा कि उम्रकैद की सजा का मतलब आखिरी सांस तक कैद है। और उम्र कैद की सजा को सीमित अवधि तक नहीं किया जा सकता। इसी दौरान कोर्ट ने ये भी कहा कि हत्या के लिए न्यूनतम सजा उम्रकैद है और अधिकतम सजा मृत्यु दंड।
बता दे कि जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस सुभाष चंद्र शर्मा की डिविजन बेंच आज 1997 में हुई हत्या के दोषियों द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही थी, जिनको इस हत्या के मामले के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। बता दे कि इसी दौरान हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि सजा में छूट राज्य सरकार के विवेकाधिकार पर निर्भर है।