
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में बालिग जोड़ों को अपनी मर्जी से साथ रहने का अधिकार दिया है। जस्टिस विवेक कुमार सिंह की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अब बालिग जोड़े शांति से अपनी इच्छा के अनुसार एक साथ रह सकते हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति को इन जोड़ों के शांतिपूर्ण जीवन में दखल देने का अधिकार नहीं होगा।
हाई कोर्ट ने यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को ध्यान में रखते हुए दिया है। इस अनुच्छेद में यह प्रावधान है कि किसी भी व्यक्ति को उसकी मर्जी के बिना उसके जीवन और स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता।
अदालत ने यह आदेश भी दिया कि अगर कोई शांति से रह रहे बालिग जोड़े के साथ हस्तक्षेप करता है, तो संबंधित जिले के कमिश्नर और एसएसपी इस मामले में तुरंत उपाय करेंगे और जोड़े की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। पुलिसकर्मियों को यह निर्देश दिया गया है कि जब तक यह सुनिश्चित न हो जाए कि किसी बालिग जोड़े के खिलाफ कोई अपराध पंजीकृत नहीं है, तब तक वे उनके शांति से रहने में कोई दखल नहीं देंगे।
अदालत ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के सेक्शन 114 और 119(1) का भी हवाला दिया, जिसमें यह माना गया है कि यदि कोई जोड़ा लंबे समय से साथ रह रहा है, तो उसे वैवाहिक रिश्ते के रूप में माना जाएगा। यह फैसला लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए है।
इस फैसले के तहत, यदि किसी पिटीशनर को शांति से रहने में कोई परेशानी होती है, तो वह संबंधित पुलिस अधिकारियों के पास जा सकता है। पुलिस अधिकारी यह सुनिश्चित करने के बाद कि पिटीशनर बालिग है और अपनी मर्जी से रह रहा है, उसे तुरंत सुरक्षा प्रदान करेंगे। इसके साथ ही, यदि पिटीशनर के पास उम्र से संबंधित दस्तावेज नहीं हैं, तो पुलिस अधिकारी उम्र का पता लगाने के लिए आवश्यक परीक्षण कर सकते हैं।









