
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। अमित शाह ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में सहकारिता के क्षेत्र में कईं सारे initiative हमनें लिए हैं। सबसे पहले संवैधानिक ढांचे के भीतर राज्य और केंद्र के अधिकारों में खलल डाले बगैर सहकारिता कानून में एक समानता लाने का प्रयास नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि सहकारिता आंदोलन हमारे देश में लगभग 115 वर्ष पुराना है,आजादी के बाद से सहकारिता क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांग थी कि सहकारिता मंत्रालय को अलग बनाया जाए। स्वतंत्र मंत्रालय बनने से, प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन से और एक स्वतंत्र मंत्री और सचिव सहित स्वायत्त मंत्रालय बनने से सहकारिता मंत्रालय और सहकारी के क्षेत्र में ढ़ेर सारे परिवर्तन संभव हुए हैं और आगे भी परिवर्तन होते रहेंगे।
अमित शाह ने कहा कि मैं सहकारिता के साथियों से कहना चाहता हूं कि इस आंदोलन ने देश को अब तक बहुत कुछ दिया है। इस सदी में हमनें ढ़ेर सारी उपलब्धियां प्राप्त की हैस ऋण वितरण की अर्थव्यवस्था में लगभग 29% हिस्सा सहकारी आंदोलन का है, उर्वरक वितरण में 35%, उर्वरक उत्पादन में 25%, चीनी उत्पादन में 35% से अधिक, दूध की खरीद, बिक्री और उत्पादन में सहकारिता का हिस्सा 15% को छू रहा है।
अमित शाह ने बताया कि मोदी के Initiative से multi state कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट में संशोधन का काम संसद की संसदीय समिति ने सर्वानुमति से किया है और इसी सत्र के अंदर ये कानून आने वाला है। उन्होने कहा कि हमनें शुगर मिलों के वर्षों से लंबित 15 हजार करोड़ के tax dispute और भविष्य में इस तरह के dispute जेनरेट न हो इस तरह की व्यवस्था की है।









