केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यों से आतंकवाद के खिलाफ अपनी मुहिम में केंद्रीय एजेंसियों के साथ आक्रामक समन्वय करने का आह्वान किया है। दो दिवसीय आतंकवाद विरोधी सम्मेलन में बोलते हुए शाह ने कहा कि भारत में पिछले दशक में आतंकी घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है। मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि सरकार जल्द ही आतंकवाद, आतंकवादियों और उनके पारिस्थितिकी तंत्र से लड़ने के लिए एक राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी नीति और रणनीति लाएगी।
शाह ने कहा कि अगर आप 2006 से 2013 के बीच और 2014 से 2021 के बीच की अवधि की तुलना करें, तो आतंकवाद की घटनाओं में 70 प्रतिशत की गिरावट आई है। शेष 30 प्रतिशत में भी आतंकवादी घटनाओं के बाद आतंकवादियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की गई है। गृह मंत्री ने कहा कि देश की प्रमुख आतंकवाद निरोधक जांच एजेंसी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 95 प्रतिशत दोषसिद्धि दर हासिल की है और राज्यों को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) का अधिक उपयोग करने में इसका अनुसरण करना चाहिए।
अमित शाह ने कहा कि जहां भी आवश्यक हो यूएपीए की धाराएं लागू की जानी चाहिए और यदि यूएपीए लागू किया जाता है, तो यह पर्यवेक्षी प्राधिकरण की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि उस जांच के लिए एनआईए को शामिल किया जाए। आतंकवाद की जांच में 95 प्रतिशत से अधिक सफलता एजेंसी द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, एनआईए ने 632 मामलों को अपने हाथ में लिया है और 498 मामलों में आरोप पत्र दायर किए हैं। गृह मंत्री ने कहा कि अब चुनौती यह है कि राज्य और केंद्रीय एजेंसियां आतंकवाद से जुड़ी खुफिया जानकारी और इनपुट के बारे में “जानने की जरूरत” से “जानने का कर्तव्य” की ओर बढ़ें।
राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक नीति
केंद्र सरकार राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक और रणनीति नीति का अनावरण करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसके तहत राज्यों को मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) प्लेटफॉर्म के माध्यम से केंद्र के साथ समन्वय करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। एमएसी वास्तविक समय की खुफिया जानकारी साझा करने के लिए खुफिया ब्यूरो के नेतृत्व वाला समन्वय मंच है। गृह मंत्री ने कहा कि एनआईए द्वारा आतंकवाद की जांच के लिए एक मॉडल एसओपी तैयार किया गया है और मॉडल एटीएस और एसटीएफ फॉर्मूलेशन के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।
सरकारी प्रवक्ता ने एनआईए के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य “पूरी सरकार के दृष्टिकोण” की भावना से आतंकवाद के खतरे के खिलाफ समन्वित कार्रवाई के लिए चैनल स्थापित करके विभिन्न हितधारकों के बीच तालमेल विकसित करना और भविष्य की नीति निर्माण के लिए ठोस इनपुट प्रस्तुत करना है। सम्मेलन में विचार-विमर्श और चर्चाएं महत्वपूर्ण मामलों पर केंद्रित होंगी, जिसमें आतंकवाद-रोधी जांच में अभियोजन और कानूनी ढाँचा विकसित करना, अनुभवों और अच्छे तरीकों को साझा करना, उभरती प्रौद्योगिकियों से संबंधित चुनौतियाँ और अवसर, अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सहयोग और भारत भर में विभिन्न आतंकवाद-रोधी थिएटरों में आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने की रणनीतियाँ शामिल हैं। सम्मेलन में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, आतंकवाद-रोधी मुद्दों से निपटने वाली केंद्रीय एजेंसियों/विभागों के अधिकारी और कानून, फोरेंसिक, प्रौद्योगिकी आदि जैसे संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।