
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत गठित बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के अधिकारों को लेकर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि सीडब्ल्यूसी के पास पुलिस को प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने का निर्देश देने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि सीडब्ल्यूसी केवल किशोर न्याय बोर्ड या संबंधित पुलिस प्राधिकरण को रिपोर्ट भेज सकता है यदि उसे बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 का उल्लंघन दिखाई देता है। हालांकि, सीडब्ल्यूसी को सेक्शन 27(9) के तहत पहली श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के बराबर पावर दी गई है, लेकिन इन शक्तियों का उपयोग FIR दर्ज करने का निर्देश देने तक नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बाल कल्याण समिति के पास प्रशासनिक और न्यायिक दोनों प्रकार की शक्तियां हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल केवल बच्चों की देखभाल, सुरक्षा, पुनर्वास और उनके सर्वोत्तम हित को सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है। इसलिए, समिति पुलिस को FIR दर्ज करने का आदेश देने के लिए इन शक्तियों का उपयोग नहीं कर सकती।









