रिपोर्ट- नरेंद्र प्रताप
मेरठ के स्वास्थ्य महकमे ने अब जमीन से उठकर स्वर्ग में मुर्दों को वैक्सीन लगाने की शुरुआत की है. मौत के 6 महीने बाद मेरठ के दो मुर्दों को वैक्सीन लगाई गई है जिसके सर्टिफिकेट उनके परिजनों को मोबाइल एसएमएस के जरिए भेजे गए हैं. जिन दो लोगों को वैक्सीनेट किया गया है उनमें से एक बीजेपी नेता और मेरठ कैंट बोर्ड परिषद की पार्षद मंजू गोयल भी हैं.
100 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य पार करने वाला स्वास्थ्य महकमा अब सवालों के घेरे में है. मेरठ के छावनी बोर्ड परिषद में बीजेपी नेता मंजू गोयल पार्षद थी और उनके पति इसी कैंट बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे हैं. पूरा परिवार भारतीय जनता पार्टी को समर्पित है. मंजू गोयल को कोरोना की पहली डोज 20 मार्च 2021 को लगाई गई थी. करीब एक महीने बाद वह बीमार पड़ी और उनकी मेडिकल रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई. मेरठ के आनंद अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था. मगर डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके. 25 अप्रैल को उनकी मौत हो गई.
मंजू गोयल की मौत के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह उनके परिवार में शोक संवेदना व्यक्त करने आए थे. मेरठ शहर के लिए यह एक बड़ी क्षति थी. लेकिन मंजू गोयल की मौत के करीब 6 महीने बाद उनके घर कोरोना वैक्सीनेशन किए जाने का प्रमाणपत्र आया है. मंजू गोयल के बेटे गौरव गोयल ने बताया कि उनकी मां 6 महीने पहले स्वर्ग सिधार चुकी हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने 29 अक्टूबर 2021 को उन्हें कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज दिए जाने का प्रमाणपत्र भेजा है. स्वास्थ्य विभाग के फर्जीवाड़े की यह पहली नजीर है.
इसी तरह का दूसरा उदाहरण मेरठ के रंजीतपुरी इलाके में रहने वाले भागचंद जैन का है. भागचंद जैन 29 मार्च 2021 को स्वर्ग सिधार गए थे. उन्हें कोरोना का संक्रमण हुआ था. भागचंद जैन की मौत के करीब 10 दिन पहले उन्हें कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई थी लेकिन उनकी मौत के 6 महीने बाद उन्हें कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज दिए जाने का स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया है. वैक्सीनेट किये जाने का प्रमाण पत्र भी एसएमएस के जरिए परिवार को भेजा गया है. भागचंद जैन के बेटे विनीत जैन बताते हैं कि कोरोना वैक्सीन दिए जाने के चंद रोज बाद उनकी मौत हो गई थी लेकिन स्वास्थ्य विभाग 6 महीने पहले मर चुके व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज कैसे दे सकता है?
हाल ही में केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार ने 100 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट किए जाने का अवसर लाव लश्कर के साथ सेलिब्रेट किया था. शहरों में इस उपलब्धि को लेकर बड़े-बड़े पोस्टर और बैनर लगवाए गए थे लेकिन मौत के 6 महीने बाद दो लोगों को कोरोना वैक्सीन दिए जाने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. विपक्ष ने इस फर्जीवाड़े से जुड़े दस्तावेज हासिल किए हैं और इसे जोर-शोर से जनता के सामने रख रहा है. मेरठ समाजवादी पार्टी के नेता सनी गुप्ता ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पूरे मामले को मीडिया के सामने रखा और कहा कि केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार कोरोना वैक्सीनेशन के नाम पर फर्जीवाड़ा कर रही है. हम इस मुद्दे पर जनता के सामने उनका राजफाश करेंगे.
मेरठ के सीएमओ डॉ अखिलेश मोहन इस मामले पर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं. पूरा मामला जानने के बाद उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वह जांच कराएंगे लेकिन इतना बड़ा फर्जीवाड़ा कैसे हुआ? इस मामले पर वह आधिकारिक रूप से कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. मेरठ में इससे पहले भी कोरोना वैक्सीनेशन के नाम पर फर्जीवाड़े के मामले सामने आए हैं. जागृति बिहार की एक महिला को तो वैक्सीनेट किए बगैर ही प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया था. गौरतलब है कि इस मामले की जांच के बाद किसी के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हुई.
ऑक्सीजन की कमी से हुई थी बीजेपी पार्षद की मौत:
भारतीय जनता पार्टी के नेता और पार्षद रही स्वर्गीय मंजू गोयल के बेटे गौरव गोयल बताते हैं कि उनके परिवार में कई लोगों को कोरोना संक्रमण हुआ था. उन्होंने अपने स्तर से कई ऑक्सीजन सिलेंडरों की भी व्यवस्था की थी लेकिन अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुचारू न होने के चलते उनकी मां को ऑक्सीजन नहीं मिल पाई. वह मानते हैं कि उनकी मां कोरोना से रिकवर हो चुकी थी. उनकी मां की मृत्यु की वजह ऑक्सीजन की कमी भी रही है .