Badrinath Dham: क्या सच में 6 महीने बिना देखभाल जलता है दीपक? बद्रीनाथ धाम के खुलने पर जानें सच्चाई!

बद्रीनाथ धाम के कपाट आज खुले! जानें 6 महीने तक बिना तेल जलने वाले दीपक का रहस्य, "जो जाए बदरी वो न आए ओदरी" की मान्यता और चारधाम यात्रा की पूरी जानकारी।

Char Dham Yatra 2025: चारधामों में प्रमुख बद्रीनाथ धाम के कपाट आज रविवार को सुबह 6 बजे विधिवत वैदिक मंत्रोच्चारण और “जय बदरीविशाल” के जयघोष के साथ श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए गए। कपाट खुलने के इस शुभ अवसर पर हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे और इस पावन क्षण के साक्षी बने।

बद्रीनाथ मंदिर का यह सालाना कपाट उद्घाटन धार्मिक आस्था, परंपरा और भक्ति भाव से ओतप्रोत होता है। इसके साथ ही चारधाम यात्रा का मुख्य चरण भी पूरा हो गया है क्योंकि अब चारों धाम – गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ सभी के कपाट खुल चुके हैं।

पृथ्वी का बैकुंठ धाम

बद्रीनाथ धाम को भगवान विष्णु का निवास माना जाता है। यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और अलकनंदा नदी के किनारे नर और नारायण पर्वतों के मध्य बसा है। यहां भगवान विष्णु की शालीग्राम पत्थर से बनी चतुर्भुज मूर्ति की पूजा होती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु यहां छह माह योगनिद्रा में रहते हैं और शेष छह माह जागकर भक्तों को दर्शन देते हैं।

मंदिर के दीपक का रहस्य

बद्रीनाथ धाम से जुड़ा एक रहस्यमय तथ्य यह है कि जब मंदिर के कपाट सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं, उस समय एक दीपक जलता हुआ छोड़ दिया जाता है। यह दीपक पूरे छह महीने तक बिना बुझे जलता रहता है, जबकि इस दौरान वहां कोई नहीं रहता। कपाट खुलने पर मंदिर वैसा ही स्वच्छ और व्यवस्थित मिलता है, जैसा बंद करते समय था। यह चमत्कार आज भी श्रद्धालुओं की आस्था को और गहरा करता है।

ऐतिहासिक और आध्यात्मिक मान्यता

बद्रीनाथ को लेकर एक प्रसिद्ध कहावत है —“जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी”, अर्थात जो व्यक्ति एक बार बद्रीनाथ में दर्शन कर लेता है, उसे दोबारा इस संसार में जन्म नहीं लेना पड़ता।

बद्रीनाथ वही स्थान है जहाँ भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ने तपस्या की थी।

  • सतयुग में केवल भगवान विष्णु के दर्शन संभव थे,
  • त्रेतायुग में देवताओं और ऋषियों को दर्शन हुए,
  • और कलियुग में अब आमजन भी विग्रह रूप में भगवान के दर्शन कर सकते हैं।

कपाट खुलने का क्रम

  • अक्षय तृतीया को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुले
  • 2 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खोले गए
  • 4 मई (आज) को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है।

यात्रा अवधि

बद्रीनाथ धाम मई से नवंबर तक खुला रहता है। इसके बाद शीतकाल में मंदिर बंद कर दिया जाता है और भगवान विष्णु की पूजा जोशीमठ के नारसिंह मंदिर में की जाती है।

श्रद्धालुओं से अपील

इस साल कोविड-19 संबंधी सभी प्रतिबंध हटा दिए गए हैं, लेकिन भीड़भाड़ में सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। साथ ही चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं से प्रशासन और मंदिर समिति ने अनुरोध किया है कि वे यात्रा से पहले मौसम, स्वास्थ्य और यात्रा मार्ग की जानकारी अवश्य ले लें।

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