
वाराणसी: वाराणसी में होली का अलग महत्व है. लोग होली को लेकर बेहद उत्साहित रहते है. होली अभी 18 मार्च को है लेकिन काशी में अभी से लोगों पर होली का खुमार चढ़ने लगा है. काशी के घाटों पर कलाकारों ने जमकर होली के गीत गाए. होली को लेकर काशीवासियों में अलग उत्साह होता है. घाट किनारे लोग एक दूसरे को रंग लगाकर खुशियां बाँट रहें हैं.
वाराणसी आध्यात्मिक नगरी है यही कारण है कि होली के त्योहारों को लेकर खासा उत्साह काशीवासियों में है. कल यानि 14 फरवरी को काशी में रंगभरी एकादशी है जिसमे गुलाल की होली बाबा विश्वनाथ के साथ भक्त खेलते हैं, ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव माता पार्वती को गौने लेकर कैलाश जाते हैं.
इसके बाद से ही होली का त्यौहार काशी में शुरू हो जाता है. लेकिन आज एक दिन पहले से ही काशीवासियों में होली की उमंग देखी जा सकती है.
मालवीव की बगिया में भी जमकर उड़े गुलाल
मदममोहन मालवीय की बगिया कहे जाने वाले बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में भी छात्रों ने जमकर होली खेली। होली की हुई छुट्टी में जाने से पहले छात्रों ने आपस में और शिक्षकों के साथ होली खेली। गौरतलब है कि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्रों ने होली की खुशियां मनाई और जमकर रंगो और गुलाल उड़ाए. आलम यह था कि पूरा परिसर रंगो से पटा पड़ा था.
होली 18 मार्च को है लेकिन बनारसियों पर होली का रंग अभी से सवार हो चूका है. जगह जगह पर रंग अबीर के साथ कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहें हैं जहा कलाकार अपने सुर के जलवे बिखेर रहें हैं