हरित भविष्य की ओर भारत, जलवायु संकट के बीच क्लीन टेक में निवेश बना आर्थिक अवसर

जलवायु संकट के दौर में भारत के पास क्लीन टेक्नोलॉजी में निवेश कर वैश्विक ग्रीन अर्थव्यवस्था में अग्रणी बनने का मौका। ओडिशा जैसे राज्य इस बदलाव की मिसाल बन रहे हैं।

विश्व आज बहुआयामी अस्थिरताओं से गुजर रहा है — भू-राजनीति, तकनीकी बदलाव, आर्थिक झटकों और जलवायु परिवर्तन की चुनौती। इन सबके बीच भारत के सामने एक अनूठा अवसर है — अपनी अर्थव्यवस्था को भविष्य के लिए सुरक्षित (future-proof) करना और सतत विकास के लक्ष्य हासिल करना।

जलवायु संकट सिर्फ एक पर्यावरणीय चुनौती नहीं है, बल्कि एक आर्थिक और सामाजिक खतरा भी है। ऐसे में हरित प्रौद्योगिकी (Green Technology) में समय रहते किया गया निवेश न केवल जलवायु का उत्तर है, बल्कि भारत को वैश्विक ग्रीन मार्केट में एक अग्रणी स्थान दिलाने का मार्ग भी।

चीन की मिसाल, भारत की तैयारी

चीन ने दो दशक पहले ही सोलर पैनल, बैटरी और इलेक्ट्रिक वाहनों में निवेश शुरू कर दिया था और आज वह इन क्षेत्रों में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है। भारत ने भी पिछले 10 वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन अब वक्त है कि हम अगली पीढ़ी की हरित तकनीकों — जैसे ग्रीन हाइड्रोजन, अपशिष्ट प्रबंधन, जैव-ईंधन और समुद्री अर्थव्यवस्था — में आक्रामक निवेश करें।

ओडिशा: ग्रीन ट्रांजिशन की रोल मॉडल

Council on Energy, Environment and Water (CEEW) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा में 28 हरित वैल्यू चेन की पहचान की गई है — जैसे:

  • चिल्का झील में सीवीड (seaweed) खेती
  • ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात
  • भुवनेश्वर और कटक जैसे शहरी क्षेत्रों में ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग

इन पहलुओं से वर्ष 2030 तक:

  • राज्य के GSDP में 23% तक की वृद्धि संभव है
  • 10 लाख से अधिक नई नौकरियाँ उत्पन्न होंगी
  • $42 अरब (₹3.5 लाख करोड़) से अधिक का निवेश आकर्षित किया जा सकता है

Invest Odisha 2025 में ₹13 लाख करोड़ निवेश संकल्पों में से 35% से अधिक हरित क्षेत्रों में थे — यह पहली बार है जब खनिज क्षेत्र की बजाय ग्रीन सेक्टर ने प्रमुखता हासिल की।

भारत की ग्रीन ग्लोबल भूमिका

आज जब दुनिया ग्रीन प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की ओर तेज़ी से बढ़ रही है, भारत के पास मौका है कि वह:

  • MSME और स्टार्टअप्स को ग्रीन वैल्यू चेन से जोड़े
  • किसानों, खनन क्षेत्रों और शहरी युवाओं को हरित रोजगार से जोड़कर समावेशी विकास लाए
  • हरित निर्यात के ज़रिए वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाए

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