प्राइवेट प्रैक्टिस, लापरवाही और गैरहाजिरी पर सरकार का शिकंजा, कई डॉक्टरों को नोटिस, विभागीय कार्रवाई शुरू
कानपुर: उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में अनुशासनहीनता और अनियमितताओं पर सरकार ने बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज (जीएसवीएम) के दो चिकित्सा शिक्षकों को प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है। इसके अलावा जेके कैंसर संस्थान के निदेशक, सात अन्य डॉक्टर और दो सीएमओ (मुख्य चिकित्साधिकारी) भी शासन की कार्रवाई की जद में आ गए हैं।
जीएसवीएम के दो डॉक्टर बर्खास्त
- डा. राघवेंद्र गुप्ता (न्यूरो सर्जरी विभाग) और डा. स्वप्निल गुप्ता (पैथोलॉजी विभाग) पर निजी प्रैक्टिस करने के आरोप थे।
- जांच में कानपुर के न्यूरॉन हॉस्पिटल में प्राइवेट प्रैक्टिस की पुष्टि हुई।
- कानपुर मंडलायुक्त की जांच के आधार पर दोनों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
- डॉक्टर शासन के निर्देशों की अवहेलना कर रहे थे और झूठा दावा कर रहे थे कि वे प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर रहे।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का सख्त रुख
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा:
“गरीबों की सेवा करने की बजाय ये डॉक्टर प्राइवेट क्लीनिक में पैसे कमा रहे थे। ऐसे लोगों की सरकारी सिस्टम में कोई जगह नहीं।”
अन्य डॉक्टरों पर भी गिरी गाज
- सीतापुर और बागपत के डॉक्टर महीनों से गैरहाजिर, बिना सूचना के ड्यूटी से नदारद।
- डिप्टी सीएम ने एक महीने में जवाब न देने पर बर्खास्तगी के निर्देश दिए।
सात डॉक्टरों को मिला आरोप पत्र
- डा. पवन साहू (महोबा) – प्राइवेट प्रैक्टिस
- डा. देव प्रकाश सिंह (झांसी) – प्राइवेट प्रैक्टिस
- डा. प्रदीप कुमार (फतेहपुर) – विदेश यात्रा बिना अनुमति
- डा. दिव्या गुप्ता (बिजनौर) – बिना सूचना के गैरहाजिर
- डा. राकेश अग्निहोत्री (हाथरस) – कार्य में लापरवाही
- डा. अनुराधा सिंह (बरेली) – कार्य में रुचि न लेने का आरोप
- डा. प्रदीप कुमार (बुलंदशहर) – नई तैनाती पर रिपोर्ट नहीं किया
सीएमओ और निदेशक पर भी कार्रवाई
- कानपुर सीएमओ डा. हरिदत्त नेमि पर प्रशासनिक लापरवाही के आरोप, कारण बताओ नोटिस जारी
- फर्रुखाबाद सीएमओ डा. अवनीन्द्र कुमार से ग़लत रिपोर्ट देने के मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया
- कानपुर जेके कैंसर संस्थान के निदेशक पर टेंडर प्रक्रिया में लापरवाही, बिड रद्द कर स्पष्टीकरण तलब
सरकार का संदेश साफ: लापरवाही नहीं चलेगी
उत्तर प्रदेश सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में भ्रष्टाचार, लापरवाही और अनुशासनहीनता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे सभी मामलों में तुरंत कार्रवाई की जाए।
डॉक्टरों और अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की इस प्रक्रिया से प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। जनता को बेहतर चिकित्सा सुविधा देना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।









