
अगर आप अपने पर्सनल खाते की चेक किसी को भी देते है और उस चेक पर हस्ताक्षर गलत करके चालाकी करते है, या फिर उस बैंक के खाते का चेक देते है जिसका खाता पहले ही बंद हो चुका है , या फिर चेक देने के बाद स्टॉप पेमेंट कर देते है, या फिर खाते के खाली होने के बावजूद अधिक रकम की चेक देते है तो अब सावधान हो जाए क्योकिं अब इस प्रकार की कोई भी चालाकी चेक बाउंस की श्रेणी में आयेंगे।
दरअसल, चेक बाउंस पर इलाहबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला आया है जिसमें इलाहबाद हाई कोर्ट ने कहा है खाता बंद होना, हस्ताक्षर न मिलना, धनराशि न होना, पेमेंट स्टॉप कराना सब चेक बाउंस की श्रेणी में आयेंगे और इसका जिम्मेदार चेक के मालिक की होगी।
वहीं बात करें अगर चेक बाउंसिंग की तो इसका मतलब है कि आपने किसी व्यक्ति को 10,000 रुपये का चेक साइन करके दिया. वह व्यक्ति अपने बैंक में गया और वह रकम अपने खाते में डलवाने के लिए चेक लगा दिया. बैंक ने पाया कि जिस व्यक्ति ने (आपने) चेक दिया है, उसके खाते में 10,000 रुपये हैं ही नहीं. ऐसे में जिसे पैसा मिलना चाहिए था, उसे नहीं मिला और बैंक को अलग से मैनपावर लगानी पड़ी. इस तरह के चेक रिजेक्ट हो जाने को ही चेक बाउंस होना कहा जाता है. तो ध्यान रखें, जब भी चेक काटें तो अपने बैंक अकाउंट में मौजूदा रकम से कम काटें. यदि चेक बाउंस हुआ तो उसके लिए कानून में कड़ी सजा का प्रावधान है, क्योंकि भारत में चेक बाउंस होने को वित्तीय अपराध (Financial Criem) माना गया है. चेक बाउंस का केस परिवादी के परिवाद पर निगोशिएबल इंट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 के अंतर्गत दर्ज करवाया जाता है
चेक बाउंस की सजा की बात करें तो न्यायालय से दोषी साबित होने पर चेक की राशि का दोगुना तक जुर्माना या अधिकतम दो वर्ष की कैद या दोनों से दंडनीय है ।









