हिन्दू विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पंजीकरण होने से शादी वैध नही है, वह पंजीकरण केवल विवाह का प्रमाण है. सुप्रीम कोर्ट का मानना है, इससे उसकी वैधता नहीं मिलती. विवाह संस्कारों के अभाव में विवाह वैध नहीं है. कोर्ट ने बताया कि विवाह को वैध होने के लिए उचित संस्कार अनिवार्य और हिन्दू विवाह में सप्तपदी का अनुपालन जरूरी.
आपको बता दें कि हिन्दू विवाह पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है. विवाह संस्कारों (सप्तपदी इत्यादि ) के अभाव में शादी के पंजीकृत होने से वह विवाह वैध नहीं होगा. सर्वोच्च न्यायालय ने हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत हिंदू विवाह की कानूनी आवश्यकताओं और पवित्रता को स्पष्ट किया।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हिंदू विवाह को वैध होने के लिए, इसे उचित संस्कारों और समारोहों के साथ किया जाना चाहिए. जैसे कि सप्तपदी (पवित्र अग्नि के चारों ओर सात कदम) और यदि विवाह को लेकर विवाद होता है तो ऐसे मामले में इन समारोहों का सबूत आवश्यक है. यदि सप्तपदी का अनुपालन नहीं हुआ तो विवाह का पंजीकरण भी उसे वैध नहीं ठहरा सकता है.