महाराष्ट्र सियासी घमासान : बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर 11 जुलाई तक रोक

डिप्टी स्पीकर की ओर से वकील राजीव धवन ने कहा कि डिप्टी स्पीकर की योग्यता को लेकर मोशन की विश्वसनीयता को ध्यान में रखा जाता है. ऐसे में उन्हें भेजा गया नोटिस उचित प्रक्रिया के तहत नहीं माना जाएगा. मैं ये मानता हूं कि विधानसभा सचिवालय को 34 विधायकों का मोशन वाला पत्र मिला था.

महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट से शिवसेना के बागी विधायकों को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के द्वारा बागी विधायकों को जारी अयोग्यता नोटिस का जवाब देने के लिए दिया 14 दिन का वक्त दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे की याचिका पर सभी पक्षों को नोटिस जारी कर पांच दिन में जवाब मांगा है.

सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में 11 जुलाई को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखे और सभी 39 विधायकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए. उनकी संपत्ति को कोई नुकसान न पहुंचे. शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर, अजय चौधरी, सुनील प्रभु व केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.

विधानसभा सचिव को भी नोटिस जारी किया, सभी को पांच दिन में नोटिस का जवाब देने को कहा गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फैसले तक कोई फ्लोर टेस्ट नहीं किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्यों ना अयोग्यता के मामले को तब तक रोक दिया जाए.

मामले की सुनवाई के दौरान बागी नेता एकनाथ शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि आर्टिकल 32 में याचिका दाखिल कर सकते हैं. हमारे साथ पार्टी शिवसेना 39 विधायक है. हमें धमकी दी जा रही है. जान से मारने की धमकी दी जा रही है. घर और दूसरी संपति को नुकसान पहुँचाया जा रहा है.

शिंदे के वकील ने कहा कि डिप्टी स्पीकर के नोटिस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर पूछा कि आप कह रहे है कि आपको अपनी जान की चिंता है. दूसरी आप कह रहे है कि स्पीकर ने आपको प्रयाप्त समय नही दिया है. एकनाथ शिंदे के वकील ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का नोटिस मनमाना और गैरकानूनी है.

21 जून को 34 विधायकों ने डिप्टी स्पीकर को हटाने का रेस्योल्यूशन दिया था. उसके बाद 24 जून को डिप्टी स्पीकर ने नोटिस जारी किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आपने हाईकोर्ट में याचिका क्यों नहीं दाखिल किया.शिंदे के वकील ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का नोटिस असंवैधानिक है और न्याय के खिलाफ है.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सवाल यह है कि आपने डिप्टी स्पीकर के सामने सवाल क्यों नहीं उठाया? क्या वह आपके खिलाफ कर्रवाई करने का अधिकार नहीं रखते. एकनाथ सिंधे के वाकई ने कहा कि हमें 25 को डिप्टी स्पीकर नोटिस मिला और दो दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया, जबकि 14 दिन या 7 दिन का समय मिलना चाहिए.

2016 में सुप्रीम कोर्ट ने अरूणाचल मामले में फैसला दिया था. उसमें इन तमाम तकनीकी खामियों को सुधारा गया. मौजूदा मामला भी ऐसा ही है, जहां प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जा रहा है. शिंदे के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि जब डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का फैसला नहीं हो जाता वो अयोग्यता पर कार्यवाही नहीं कर सकते है.

वह जल्दबाजी में कदम उठा रहे हैं. प्रक्रिया के मुताबिक सब चल रहा होता तो हमें सुप्रीम कोर्ट नहीं आना पड़ता. नीरज किशन कौल ने कहा कि दसवीं अधिसूचना के तहत अयोग्य करार देने कि प्रक्रिया कि शुरूआत ऐसे स्पीकर या डिप्टी स्पीकर नहीं कर सकते जिन्हें अनुच्छेद 179 के तहत सदन के दस या उससे ज्यादा सदस्यो ने हटाने कि सिफारिश या मांग की हो. डिप्टी स्पीकर ऐसे समय में विधायकों को अयोग्य करार देने का नोटिस नहीं दे सकता. जब उसे हटाने का मोशन किया गया हो.

शिंदे के वकील कौल ने कहा कि 2016 में अरूणाचल मामले में दिए गए फैसले में यह सब कहा गया है. डिप्टी स्पीकर का रवैया भेदभावपूर्ण हैं. जबकि उन्हें हटाने संबंधी मोशन लंबित हो और वो सदस्यों को अयोग्य करार देने कि प्रक्रिया शुरू करने का नोटिस जारी कर दें. दूसरा यह की सदस्यों को जवाब देने को 14 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए था.

दूसरा यह की सदस्यों को जवाब देने को 14 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए था. नीरज किशन कौल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में 14 विधायकों को निलंबित करने के मामले में अनुच्छेद 212 के तहत यह स्पष्ट किया था कि यह विधि सम्मत नहीं है. शिंदे के वकील ने कहा कि स्पीकर के पास विधायकों की अयोग्यता का फैसला करते समय सभी सदस्यों का समर्थन होना चाहिए, तभी वो फैसला कर सकते हैं, लेकिन यहां खुद स्पीकर ही अविश्वास के दायरे में हैं.

एकनाथ शिंदे के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि डिप्टी स्पीकर को हटाने का मोशन 35 सदस्यों ने दिया. उसके बाद उन्होंने नोटिस जारी किया, जबकि वह खुद सवालों को घेरो में हैं. विधनसभा सत्र चल नहीं रहा और ऐसे में डिप्टी स्पीकर बिना कैबिनेट की सिफारिश के नोटिस नहीं दे सकते. अगर स्पीकर को हटाने पर फैसले से पहले अयोग्यता कार्यवाही हुई तो यह गंभीर पूर्वाग्रह होगा.

यह संवैधानिकता के तहत अस्वीकार्य है. शिंदे के वकील ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का रवैया भेदभावपूर्ण हैं. जबकि उन्हें हटाने संबंधी मोशन लंबित हो और वो सदस्यों को अयोग्य करार देने कि प्रक्रिया शुरू करने का नोटिस जारी कर दें. महाराष्ट्र सरकार की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एकनाथ शिंदे के वकील कौल की ओर से दिए गए जवाब उचित नहीं है.

आखिर क्यों हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई नहीं कर सकता. इसका कोई कारण नहीं बताया गया है. वकील सिंघवी ने कहा कि ऐसी स्थितियों में कोई अंतरिम आदेश प्रक्रिया को लेकर नहीं दिया जा सकता. पीठ ने कहा कि हम मुख्य मुद्दे पर गौर करना चाहेंगे कि जब डिप्टी स्पीकर कि योग्यता सवालों के घेरे में हो तो क्या वह सदन के सदस्यों को अयोग्य करार देने कि कार्यवाही शुरू कर सकता है.

महाराष्ट्र सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के 1992 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जब तक स्पीकर या डिप्टी स्पीकर निर्णय नहीं लेते तब तक अदालत हस्तक्षेप नहीं करेगी. सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के 1996 का हवाला दिया. वकील सिंघवी ने कहा अगम सवाल यह है कि कौल ने सुप्रीम कोर्ट के इस बात का जवाब नहीं दिया कि मामला हाई कोर्ट में नहीं चलना चाहिए.

सिंघवी ने कहा कि राजस्थान का अपवाद छोड़ दें तो सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी स्पीकर के पास लंबित कार्रवाई पर सुनवाई नहीं की है. उनका अंतिम फैसला आने पर कोर्ट में सुनवाई होती है. सिंघवी ने कहा कि देश में किसी भी मामले में एक बार कार्यवाही शुरू करने के बाद अध्यक्ष को कार्रवाई करने से रोका नहीं गया है.

जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि लेकिन क्या हम सदन की कार्यवाही से संबंधित सुनवाई कर रहे हैं ? महाराष्ट्र सरकार के वकील सिंघवी ने कहा स्पीकर का नोटिस देना, समय देना ये सब सदन की कार्यवाही का ही हिस्सा है. सिंघवी ने कहा कि बागी विधायकों ने ईमेल के जरिए डिप्टी स्पीकर की योग्यता पर सवाल उठाया है. ऐसे में यह प्रक्रियानुरूप नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर डिप्टी स्पीकर को पद पर रखने को लेकर बहुत है तो इसका निपटारा हो सकता है, जो संख्या पर आधारित हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम डिप्टी स्पीकर से इस पर हलफनामा लेंगे कि आखिर उनकी योग्यता को कब विधायकों ने चुनौती दी और कब उन्होंने विधायकों को नोटिस दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिप्टी स्पीकर अपनी योग्यता पर उठाए गए सवाल और विधायकों को अयोग्य कररा देनो कि प्रक्रिया शुरू करने पर हलफनामा दाखिल करने को कहते हैं.

डिप्टी स्पीकर की ओर से वकील राजीव धवन ने कहा कि डिप्टी स्पीकर की योग्यता को लेकर मोशन की विश्वसनीयता को ध्यान में रखा जाता है. ऐसे में उन्हें भेजा गया नोटिस उचित प्रक्रिया के तहत नहीं माना जाएगा. मैं ये मानता हूं कि विधानसभा सचिवालय को 34 विधायकों का मोशन वाला पत्र मिला था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिप्टी स्पीकर विधायकों को अयोग्य करार देने कि प्रक्रिया शुरू करने कि क्षमता ऐसी स्थिति में रखते हैं या नहीं, जबकि उनकी योग्यता को विधायकों ने चुनौती दी हो. वकील धवन ने कहा कि विधायकों ने वकील विशाल आर्चार्य के जरिए मेल किया था, जो डिप्टी स्पीकर कि योग्यता को लेकर था.

यह उचित प्रक्रिया के तहत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिप्टी स्पीकर विधायकों को अयोग्य करार देने कि प्रक्रिया शुरू करने कि क्षमता ऐसी स्थिति में रखते हैं या नहीं, जबकि उनकी योग्यता को विधायकों ने चुनौती दी हो.

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