Trending

आम चुनाव 2024 में BJP पहली पसंद तो कांग्रेस से मोहभंग! इस दल-बदल पॉलिटिक्स का क्या पड़ेगा असर

चुनाव आते ही सांसद या विधायक एक राजनीतिक दल से दूसरे दल में चले जाते हैं। ऐसे में इस बार चुनाव में इस दल-बदल पॉलिटिक्स का क्या असर पड़ेगा....

‘आया राम, गया राम’ भारतीय राजनीति से जुड़े इस लोकप्रिय मुहावरे को तो आप सब ने सुना ही होगा। ये कहावत एक बार फिर भारत के सियासी जगत में चर्चा का मुद्दा बन गया है। चुनाव नजदीक आते ही सांसद या विधायक अपनी राजनीतिक निष्ठा बदलते हुए एक दल से दूसरे दल में चले जाते हैं। देश में होने वाले चुनाव के पास आते ही एक बार फिर माहौल कुछ ऐसा ही दिख रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दल बदल की राजनीती तेज हो गई है। जैसे जैसे समय नजदीक आ रहा है कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी समेत कई पॉलिटिकल पार्टी के बड़े नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामते दिख रहे हैं। इस बीच सोमवार यानी 26 जनवरी को नेता गीता कोड़ ने पाला बदलते हुए INDIA अलायन्स को बड़ा झटका दे दिया है। उनके पार्टी छोड़ते ही झारखंड में गठबंधन के अंदर अपनी राजनीतिक मोर्चा को संभालने की कवायद तेज हो गई है। तो चलिए जानते है कि अब तक आम चुनाव 2024 से पहले किन नेताओं ने गठबंधन को ठेंगा दिखाते हुए BJP का दामन थामा है।

अब INDIA गठबंधन को गीता कोड़ा ने दिया झटका

सोमवार यानी 26 फ़रवरी को झारखंड में सिंहभूम से कांग्रेस सांसद और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने पार्टी का साथ छोड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। वर्ष 2018 में उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन किया था। जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहीं गीता, पहले जय भारत समानता पार्टी की सदस्य थीं, जिसकी स्थापना उनके पति ने 2009 में की थी। उन दिनों वो जय भारत समानता पार्टी की एकमात्र विधायक थीं, क्योंकि 2009 के झारखंड विधानसभा चुनावों में उन्होंने जगनाथपुर निर्वाचन क्षेत्र जीता था। हालांकि, वक़्त बीता और नवंबर 2018 में उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया था। मगर इस बार उन्होंने नई रणनीति अपनाते हुए कांग्रेस का साथ छोड़ पार्टी को बड़ी मुसीबत में डाल दिया है।

दरअसल, सिंहभूम लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 6 विधानसभा सीटें है। इन 6 सीटों में से 5 पर जेएमएम यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा है। वहीं, वहां के एक मात्र सीट पर कांग्रेस का कब्ज़ा है जिसपर से गीता कोड़ा विधायक हैं। ऐसे में इस सीट से गीता के पाला बदलने के बाद वहां कांग्रेस और भाजपा के बीच रोमांचक लड़ाई तय है।

देबासिस नायक

बीजू जनता दल (बीजेडी) के वरिष्ठ नेता और ओडिशा के पूर्व मंत्री देबासिस नायक ने भी 25 फरवरी को बीजेडी से इस्तीफा देते हुए पार्टी को झटका दे दिया। उनके इस्तीफा देने के कुछ ही घंटे बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। देबासिस मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के काफी भरोसेमंद सहयोगियों में से एक में गिने जाते थे। उन्होंने साल 2000, 2004, 2009 और 2014 में जाजपुर जिले के बारी निर्वाचन क्षेत्र से लगातार चार बार विधायकी का चुनाव जीता है। ऐसे में उनका पार्टी का इस समय साथ छोड़ देना बीजेडी के लिए संकट पैदा कर सकता है।

एस विजयधरानी

बीते 24 फरवरी को तमिलनाडु कांग्रेस से विधायक रहीं एस विजयधरानी भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं हैं। वह 2021 से कन्याकुमारी जिले के विल्वनकोड निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद विजयधरानी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। पार्टी पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि, “कांग्रेस में जब नेतृत्व की बात आती है तो महिलाओं को वो सम्मान नहीं दिया जाता है जो उन्हें दिया जाना चाहिए। इस पार्टी में महिलाओं के लिए कोई मंच उपलब्ध नहीं है। ऐसे में उन्होंने PM मोदी के तरफ से महिलाओं के हित में किये गए कामों को देखते हुए BJP ज्वाइन करने का फैसला किया है।

अशोक चव्हाण

चव्हाण कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। ऐसे में अशोक का इस महीने की शुरुआत में भाजपा में शामिल होना भी कांग्रेस के लिए आगामी चुनाव में काफी चिंतादायक होगा। चव्हाण महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण के बेटे हैं। उनकी पत्नी अमिता भी विधायक हैं। उन्होंने साल 1986 में कांग्रेस पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के महासचिव के रूप में राजनीती में अपना करियर की शुरुआत की थी। साल 1987-89 में नांदेड़ लोकसभा क्षेत्र से वो चुनाव लड़कर सांसद बनें।

इसके साथ ही इन नेताओं के अलावा भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं में उत्तर प्रदेश के पूर्व सपा सांसद बनवारी लाल कंछल, पूर्व सपा एमएलसी कुंवर वीरेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व बसपा सांसद नरेंद्र कुमार सिंह कुशवाहा, रालोद के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष सरदार मंजीत सिंह के साथ कई अन्य नेताओं के नाम भी शामिल हैं। ऐसे में इन हालातों को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि 2024 में एक बार फिर बीजेपी के सत्ता में आने का सपना पूरा हो जाएगा। अगर इस मुद्दे को सहीं से समझा जाए तो साफ प्रतीत होता है कि INDIA गठबंधन के नाकाम होने के पीछे कॉन्ग्रेस के दल बदल नेताओं का हाथ मुख्य है।

Related Articles

Back to top button