Bihar Politics: हिन्दू त्योहारों की छुट्टी कम करने पर नीतीश सरकार की किरकिरी, बीजेपी लगा रही तुष्टिकरण का आरोप

Bihar Politics: हिन्दू त्योहारों पर छुट्टी कम करने पर नीतीश सरकार की किरकिरी, बीजेपी लगा रही तुष्टिकरण का आरोप

Bihar Politics: बिहार सरकार द्वारा मुस्लिम त्योहारों पर अधिक छुट्टी दिए जाने को लेकर भाजपा सहित कई हिन्दू संगठनों नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं। नीतीश के इस फैसले का सोशल मीडिया साइट एक्स पर भी जमकर आलोचना हो रहा है। एक्स पर ट्वीट करते हुए बीजेपी प्रवक्ता ने लिखा है कि मुस्लिमों त्योहारों की छुट्टी बढ़ा कर हिंदुओं के त्योहारों पर नकेल कसना क्या यही नीतीश का सेक्युलरिज्म है? आखिर नीतीश को हिंदुओं से इतनी नफरत क्यों है? वहीं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री भाजपा से राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने इस फैसले का पुरजोर विरोध किया है। उन्होंने नीतीश पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया है। कहा चुनाव के मद्देनजर सरकार तुष्टीकरण पर उतर आई है।

बता दें कि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने छुट्टियों में बड़ा फेरबदल किया है। शिक्षा विभाग द्वारा 2024 में प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में पिछले साल तक महाशिवरात्रि, रक्षाबंधन, जानकी नवमी, रामनवमी, जन्माष्टमी, तीज और जीउतीया पर होने वाली छुट्टी को रद्द कर दिया गया है। वहीं, ईद पर दो, मुहर्रम और बकरीद पर एक-एक छुट्टियां बढ़ बढ़ा दिया गया है। 2023 में रविवार को मिलाकर कुल 64 छुट्टियां थी। जबकि, 2024 में 60 छुट्टियां दी गई हैं।

बिहार के सभी उर्दू प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश शुक्रवार होगी। ये स्कूल रविवार को खुलेंगे। मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थित स्कूल शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश के लिए डीएम से अनुमति ले सकते हैं। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव  2024 के मद्देनजर ग्रीष्मावकाश की छुट्टी में परिवर्तन किया जा सकता है। इसके अलावा शिक्षा विभाग ने सख्त चेतावनी दी है कि किसी भी स्कूल के प्रधानाध्यापक या प्रभारी प्रधानाध्यापक अपने स्तर से अवकाश घोषित करेंगे तो उनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जाएगी।

बीजेपी ने लगाया गंभीर आरोप

बीजेपी नेता सुशील मोदी ने बिहार सरकार के छुट्टियों को लेकर लिए फैसले का पुरजोर विरोध किया है। उन्होंने कहा कि, सरकार द्वारा जारी कैलेंडर इस बात की गवाह है कि सरकार हिंदुओं को बांटकर और मुसलमानों को खुश कर वोट साधने में जुटी हुई है। लेकिन सत्ताधारी भ्रम में हैं। इसका भारी विरोध होगा।  ऐसा करने कोई औचित्य ही नहीं है। राम-कृष्ण-शिव अधिकांश हिन्दू समुदाय के आराध्य हैं। सरकार इनके पूजा का मौका खत्म करके अल्पसंख्यक समुदायों को बढ़ाना चाहती है। इसे कोई बर्दाश्त नहीं करेगा।

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