By Election : सपा के गढ़ मैनपुरी और रामपुर में पूरी ताकत झोंकेगी भाजपा, क्या अखिलेश जीता पाएंगे अपना प्रत्याशी ?

भारतीय निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश में उपचुनाव का एलान कर दिया है। ऐसे में मैनपुरी लोकसभा सीट और रामपुर विधानसभा सीट में उपचुनाव होना है। मुलायम सिंह यादव के निधन से न सिर्फ मैनपुरी सीट खाली हो गई है। सपा का गढ़ माने जाने वाली मैनपुरी संसदीय और रामपुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में भाजपा को जीत पाने के लिए बड़ी चुनौती है। इस सीटों पर अबतक भाजपा कभी नहीं जीत पायी है।

करीब ढाई दशक से सपा के कब्जे में रही मैनपुरी और 1980 से 2022 तक हुए 11 विधानसभा चुनावों में से 10 बार आजम खां और उनके परिवार के पास रही रामपुर सीट को भेदने के लिए भाजपा सरकार और संगठन को कड़ी मशक्कत करनी होगी। वहीं अब देखना है कि क्या आजम खान और मुलायम सिंह यादव के गढ़ को बचाने में सपा कामयाब होगी।

राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो मैनपुरी संसदीय पर यादव कुनबा की मौजूदगी बनाए रखने यादव परिवार से ही किसी एक के नाम पर मुहर लगाई जा सकती है। अंदेशा यह लगाया जा रहा है कि मैनपुरी उपचुनाव धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप और डिंपल यादव में किसी एक के नाम पर मुहर लग सकती है। अब देखना है कि नेता जी उत्तराधिकारी को लेकर पार्टी हाई कमान किसके नाम पर मुहर लगता है।

मैनपुरी को कहा जाता है सपा की ‘घरेलू सीट’

यूपी की सियासत में अहम रोल निभाने वाली इस सीट पर सपा का ही वर्चस्व रहा है और इसी कारण लोग इसे सामजवादी पार्टी की ‘घरेलू सीट’ भी कहते हैं।मैनपुरी लोकसभा सीट पर 1996 से अब तक 8 बार हुए लोकसभा चुनावों में यहां से सिर्फ समाजवादी पार्टी जीतती आई है। इसलिए इस सीट को समाजवादी पार्टी की घरेलू सीट मानी जाती है। अब इस सीट पर नेता जी उत्तराधिकारी को लेकर चर्चा तेज हो चुकी है। नेता जी के अलावा इस सीट पर तेज प्रताप यादव और धर्मेंद्र यादव भी सांसद रह चुके है।

रामपुर विधानसभा क्षेत्र में आजम का रहा है दबदबा

बता दें कि रामपुर विधानसभा क्षेत्र में आजम का दबदबा बहुत पहले से ही है। आजम खां 1980 में पहली बार जनता पार्टी सेक्युलर के टिकट पर रामपुर से विधायक निर्वाचित हुए थे। इसके बाद वे यहां से 1985 में लोकदल, 1989 में जनता दल, 1991 में जनता पार्टी, 1993 में सपा से विधायक रहे। 1996 में कांग्रेस से अफरोज अली खान ने आजम की जीत के सिलसिले को तोड़ा। लेकिन 2002 से 2022 तक आजम और उनकी पत्नी तजीन फात्मा ही इस सीट से विधायक चुनी जाती रही हैं। इसी लिए कहा जाता है कि की आज़म खान का इस सीट पर 1980 से ही कब्ज़ा है।

यूपी के एक और विधायक की गयी सदस्यता !

यूपी में एक और विधायक की सदस्यता रद्द हो गई है। मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। बीते दिनों समाजवादी पार्टी के रामपुर से विधायक आजम खान की सदस्यता रद्द हुई थी। पिछले दिनों कोर्ट ने विधायक को दो-दो साल की सजा सुनाई थी जिसके बाद ये एक्शन हुआ है। जल्द ही विक्रम सैनी की सीट को विधानसभा सचिवालय रिक्त घोषित करेगा। ऐसे में अब रामपुर सीट के साथ-साथ खतौली विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव हो सकता है।

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