
लोकसभा चुनाव में अभी 200 से भी कम दिन बचे है ऐसे में सभी राजनितिक पार्टियां ऐतिहासिक जीत हासिल करने के लिए दम खम से जुट गयी हुई है। एक तरफ जहां बीजेपी एनडीए मजबूत कर रही है तो वहीं सपा ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ दम भर रही हैं। वही 15 अगस्त के पहले बीजेपी कई जिलों के जिलाध्यक्ष को बदलने की तैयारी में है।
नए जिलाध्यक्षों के नाम को लेकर लखनऊ से दिल्ली हाई कमान तक मंथन हो चुका है,लेकिन जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के चलते फंसी हुई है लिस्ट।
दलित और पिछड़ों के वोट को लुभाने के लिए बीजेपी अगड़ी पिछड़ी और दलितों के साथ महिलाओं को भी देना चाहती है प्रतिनिधित्व। जिन जिला अध्यक्षों के दो से तीन कार्यकाल हुए पूरे उनका हटना तय है।
दरअसल, विधान सभा चुनावों के बाद से ही बीजेपी में जिलाध्यक्ष बदले जाने की चल रही है चर्चा, जिसकों लेकर पार्टी ने जुलाई में सभी जिलों में पर्यवेक्षक भेजकर नियुक्ति के लिए पैनल तैयार कराया। इस पैनल में हर जिले से तीन से चार दावेदारों के हैं नाम। हाई कमान से नाम तय होने के बाद बीजपी 15 अगस्त के पहले नए जिलाध्यक्षों के नाम की नयी लिस्ट जारी करेगी।









