BJP के ‘राम’ vs सपा के ‘शिव’! आखिर किसकी होगी जीत, मंदिर राजनीति में उतरे अखिलेश

सपा सुप्रीमों अखिलेश ने भी सत्ता पक्ष में बैठे BJP के तरह ही मंदिर वाली राजनीति पर अपना दांव खेलते हुए भव्य शिव मंदिर बनवाने का ऐलान किया है।

होइहि सोइ जो राम रचि राखा….. यह पंक्ति यादव परिवार के युवराज अखिलेश यादव पर एक दम सटीक बैठता है। उन्होंने भले ही अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर से दूरी बना रखा हो, मगर लगता है आखिरकार चुनाव में जीत के लिए वो भी राम भरोसे आ ही गए। लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम-यादव समीकरण के साथ सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा लेने के कोशिश में जुट चुकी है। हाल ही के कुछ दिनों से आपने देखा होगा कैसे इस वक़्त UP की राजनीती जातिवाद के अलावा अयोध्या के इर्द-गिर्द घूमती दिखाई पड़ रही है।

इस बीच समाजवादी पार्टी सुप्रीमों अखिलेश यादव ने भी अब हिन्दू वोट और आगामी चुनाव में जीत हांसिल करने के लिए नया एजेंडा अपनाया है। सत्ता पक्ष में बैठे भारतीय जनता पार्टी के तरह ही अब उन्होंने भी मंदिर वाली राजनीति पर अपना दांव खेलते हुए भव्य शिव मंदिर बनवाने का ऐलान किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा की आगामी चुनाव में बीजेपी के प्रभु राम और समाजवादी पार्टी के भगवान शिव में से यूपी की जनता किस पर अपना भरोसा जतायेगी।

पिछले कई चुनावों में गच्चा खाने के बाद अब अखिलेश यादव आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या एजेंडे को टक्कर देने के लिए अब उन्होंने शिव मंदिर निर्माण का फैसला लिया है। सपा सुप्रीमो ने अपने शिव भक्ति को सोशल मीडिया के माध्यम से दर्शाया है। खबर है कि अखिलेश इटावा लायन सफारी के पास केदारनाथ की तर्ज पर केदारेश्वर मंदिर बनवा रहे हैं।

इस मंदिर का निर्माण करीब 10 एकड़ की जमीन पर किया जा रहा है। इसके लिए नेपाल से ख़ास शालिग्राम की शिला भी मंगवाई गई है। बीते सोमवार देर रात इस शिला को सपा के लखनऊ कार्यालय में पहुँचाया गया। जिसके बाद मंगलवार को पूरे विधि-विधान के साथ इसकी पूजा अर्चना कर इटावा के लिए रवाना कर दिया गया है।

इस पूरे मामले पर जानकारी देते हुए खुद अखिलेश ने सोशल मीडिया साइट X पर जानकारी साझा किया। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा कि, ”श्री शालिग्राम भगवान का आगमन देश-प्रदेश के लिए शुभ हो और जन जन के लिए कल्याणकारी हो, इस पावन कामना के साथ हृदय से स्वागत!”  

दरअसल यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश के हिंदू वोटरों से जुड़ा हुआ है। जहाँ एक तरफ BJP राम के नाम पर इस वोट बैंक पर निशाना साढ़े है तो वहीँ दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी भगवान शिव के नाम पर उनको अपनी तरफ आकर्षित करने में लगा हुआ है। मगर सपा का संकट ये है कि उसे मुस्लिम वोट भी चाहिए और हिंदू विरोधी भी नहीं दिखना है। यानी इस बार उत्तर प्रदेश के सियासत ने एक दिलचस्प मोड़ लेते हुए बीजेपी के राम बनाम सपा के शिव का रूप ले लिया है। मगर यहाँ एक बात तो साफ़ है अखिलेश चाहे प्रभु राम से कितना भी मुँह मोड़ ले मगर उन्होंने उनके आराध्य भगवान शिव के मंदिर निर्माण का फैसला लेकर किया वही, जो खुद प्रभु की मर्जी थी। 

लेखक: विश्वेश तिवारी (डिजिटल एसोसिएट, भारत समाचार)

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