By-Election: प्रचार का अंतिम दिन आज, सभी दलों ने लगाया जोर, 5 दिसंबर को डाले जायेंगे वोट !

उत्तर प्रदेश में तीन जगहों पर उपचुनाव होना हैं। राजनितिक पार्टियां पूरे दमखम के चुनाव प्रचार कर रही हैं। इस उपचुनाव में सपा और भाजपा ने...

उत्तर प्रदेश में तीन जगहों पर उपचुनाव होना हैं। राजनितिक पार्टियां पूरे दमखम के चुनाव प्रचार कर रही हैं। इस उपचुनाव में सपा और भाजपा ने अपने अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा हैं। मैनपुरी की लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने डिंपल यादव को उतारा हैं जबकि बीजेपी ने रघुराज शाक्य को टिकट दिया हैं। आज उपचुनाव के लिए प्रचार का अंतिम दिन हैं।

शनिवार को सपा और बीजेपी अपने अपने प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार को अंतिम रूप देंगी। मैनपुरी, रामपुर, खतौली उपचुनाव में प्रचार का अंतिम दिन हैं। तीनों जगहों पर 5 दिसंबर को वोटिंग की प्रक्रिया सम्पन्न कराई जाएगी। उपचुनाव के प्रचार का शोर आज शाम 6 बजे थम जाएगा। बीजेपी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं। वहीं अखिलेश यादव और डिंपल मैनपुरी को किसी भी हाल में गंवाना नहीं चाहते हैं।

मैनपुरी का जातिगत समीकरण

डिंपल कितना कमाल कर पाएंगी ये आने वाले वक्त में ही पता लग पाएगा। डिंपल यादव इससे पहले कन्नौज से दो बार सांसद रह चुकी है। इस उनके उपर जिम्मेदारी बड़ी दी गई है। मैनपुरी लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण की बात करें तो मैनपुरी में सबसे ज्यादा यादव वोटर्स हैं। सपा के इस गढ़ में यादव वोटरों की संख्या करीब 4.25 लाख है।

यादव वोटर्स के बाद शाक्य वोटर्स का इस सीट पर दबदबा है। इस सीट पर शाक्य वोटर्स की संख्या करीब 3.25 लाख है। इसी जातिगत समिकरण को ध्यान में रखते हुए बीजेपी नें शाक्य जाति के उम्मीदवार पर भरोसा जताया है।

इस लोकसभा सीट पर ब्राह्मण वोटर्स की संख्या करीब 1.10 लाख है। इसके अलावा दलित वोटर्स की संख्या 1.20 लाख और लोधी वोटर्स की संख्या एक लाख के आसपास है।इन सबके बाद मैनपुरी सीट पर मुस्लिम वोटर्स का नंबर आता है। यहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 55 हजार है।

मैनपुरी में 1996 से रहा है सपा का दबदबा

मैनपुरी लोकसभा सीट पर 1996 से अभी समाजवादी पार्टी को कोई हरा नही पाया है। ऐसे में डिंपल के लिए ये एक बड़ी चुनौती है। वही बीजेपी ने जो जातिय समीकरण खेला है उससे यही पता लगता है कि भाजपा किसी भी मामले में पीछे नही रहेगी। यही कारण है कि यादव के बाद सबसे ज्यादे शाक्य है और बीजेपी ने शाक्य जाति के कैंडिडेट पर भरोसा जताया है। आपको बता दें कि पांच बार खुद मुलायम सिंह यहां से सांसद चुने गए थे, इसके अलावा मुलायम परिवार के ही तेज प्रताप सिंह यादव, धर्मेंद्र यादव एक-एक बार यहां से जीत चुके हैं। दो बार सपा के टिकट पर ही बलराम सिंह यादव ने यहां से चुनाव जीता था।

डिंपल के पक्ष में कौन सी बातें ?

सपा ने काफी सोच समझकर डिंपल यादव को मैदान में उतारा है। माना जा रहा है कि नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से डिंपल को चुनाव में सहानुभूति मिल सकती है। वही कल सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पीसी के दौरान कहा कि ये चुनाव में सपा की जीत मुलायम सिंह यादव को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इससे साफ होता है की समजवादी पार्टी ये उपचुनाव सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के नाम पर ही लड़ेगी देखने वाली बात होगी कि ये उप चुनाव क्या नया अध्याय लिखता है।

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