DSP लक्ष्मी सिंह चौहान पर धोखाधड़ी का केस दर्ज, झूठा शपथपत्र देकर पदोन्नति हासिल करने का आरोप

गाजियाबाद की पुलिस इंस्पैक्टर रही लक्ष्मी सिंह चौहान के खिलाफ लखनऊ में पुलिस विभाग को धोखा करने का मुकदमा दर्ज किया गया है. आरोप है कि लक्ष्मीसिंह चौहान ने अपने खिलाफ दर्ज मुकदमें दबाकर झूठा एफीडेविट विभाग को दिया और प्रमोशन पाकर डिप्टी एसपी बन गयी. गाजियाबाद लिंक रोड थानेदार रहते लक्ष्मीसिंह चौहान ने एक एटीएम डिपोजिट कंपनी का डेढ़ करोड़ रूपया डकार लिया था. लक्ष्मीसिंह चौहान इस मामले में जेल की हवा भी खा चुकी है.

22 अप्रैल 2019 को एटीएम कैश डिपोजिट कंपनी सीएमएस ने अपने एक कारिंदे के खिलाफ पैसा गायब करने की केस दर्ज कराया था. गाजियाबाद की लिंक रोड थानेदार लक्ष्मीसिंह चौहान ने आरोपियों को गिरफ्तार करके केस का खुलासा किया. पुलिस ने दावा किया कि गिरफ्तारी के साथ 45 लाख रूपये बरामद हुए है.

पुलिस अफसरों के मुताबिक यह बरामदगी एक करोड़ रूपये से ज्यादा की थी. करीब 75 लाख रूपये थानेदार लक्ष्मीसिंह चौहान ने खुलासा करने से पहले डकार लिये. शिकायत पर जांच में आरोप सही पाये गये और इंस्पैक्टर लक्ष्मीसिंह चौहान के सरकारी आवास से एक लाख रूपये से ज्यादा की रकम सीएमएस कंपनी के बैग में बरामद हुई. इंस्पैक्टर लक्ष्मीसिंह चौहान और उनके 3 कारिंदों के खिलाफ भ्रष्टाचार समेत कई धाराओं में केस दर्ज हुआ.

इस केस में पुलिस अफसरों को एक सीसीटीवी भी हाथ लगी जिसमें लक्ष्मी सिंह चौहान कार से नोटों को रखकर शिफ्ट कर रही थी. कई महीने फरार रही इंस्पैक्टर लक्ष्मीसिंह चौहान ने नवम्बर 2019 में मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट में सरैंडर किया और कई महीने जेल की सलाखों के पीछे बिताये. जमानत पर छूटने के बाद एकाएक लक्ष्मीसिंह चौहान का सस्पैंशन रद्द कर दिया गया.

इतना ही नही, भ्रष्ट इंस्पैक्टर पर मेहरबान यूपी पुलिस के आला अफसरों ने सब कुछ जानते हुए उसे रातोंरात प्रमोशन देकर डिप्टी एसपी बना डाला और उसे आगरा में पोस्टिंग भी दे दी. पुलिस विभाग की जांच में पाया गया कि लक्ष्मीसिंह चौहान ने जिस मुकदमें को एफीडेविट में खत्म बताया उसकी सिर्फ धाराऐं बदली थी. मामला अभी भी गाजियाबाद की कोर्ट में जारी है. लक्ष्मीसिंह चौहान के खिलाफ विभाग से धोखाधड़ी करने का मुकदमा लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने में दर्ज कराया गया है.

नरेन्द्र प्रताप की रिपोर्ट

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