
चंडीगढ़। देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव का पहला सफल उदाहरण चंडीगढ़ बन चुका है। 1 जुलाई 2024 से लागू हुए नए भारतीय दंड संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के तहत 91.1% मामलों में सजा दिलाकर चंडीगढ़ पुलिस ने ‘तारीख पे तारीख’ वाले पुराने दौर को पीछे छोड़ दिया है।
109 दिनों में सुनाया गया फैसला
चंडीगढ़ की SSP कंवरदीप कौर ने बताया कि 78 मामलों में से 71 में दोष सिद्ध हुआ। औसतन 109 दिनों में फैसला सुनाया गया, जबकि पहले यह अवधि 300 दिनों से अधिक थी। कुल 3,154 एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें से 1,459 ई-एफआईआर थीं।
डिजिटल तकनीक से मजबूत हुआ केस
नए कानूनों के तहत केसों को डिजिटल साक्ष्यों के साथ पेश किया गया। e-Sakshya एप्लिकेशन के माध्यम से सर्च और सीज़र की वीडियोग्राफी, फोटो, हैश वैल्यू, और जियो-टैगिंग के साथ सबूतों को क्लाउड में सुरक्षित किया गया। इससे सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना समाप्त हो गई।
CFSL (Central Forensic Science Laboratory) की 5 टीमें और 1 स्टैंडबाय टीम 24×7 उपलब्ध हैं। 14 फॉरेंसिक एनालिस्ट, 68 विशेषज्ञ और 22 आईटी एक्सपर्ट नियुक्त किए गए हैं। QR कोड और मैसेंजर ट्रैकिंग से ‘चेन ऑफ कस्टडी’ पारदर्शी बनी है।
न्याय प्रणाली को आपस में जोड़ने के लिए Nyay Setu डिजिटल प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है। यह ICJS (Inter-operable Criminal Justice System) के सभी स्तंभों को जोड़ता है, पुलिस, अदालतें, जेल, फॉरेंसिक और अभियोजन। सभी अधिकारियों को iGOT Karmayogi पोर्टल पर प्रशिक्षण दिया गया है। SHOs, IOs, कंप्यूटर ऑपरेटरों को हाथों-हाथ तकनीकी प्रशिक्षण मिला है।
पीएम और गृह मंत्री की पहल का असर
2024 के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंडीगढ़ में इन कानूनों की सफल शुरुआत की सराहना की थी। अगस्त 2024 में गृह मंत्री अमित शाह ने चार डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च कर आपराधिक न्याय प्रणाली के डिजिटलीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया।



