
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों पर पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने अपने कॉलम “मतदान जिम्मेदारियों का अंत नहीं है” में गहरे विश्लेषण किए हैं। इस कॉलम में उन्होंने एनडीए को 202 सीटें और महागठबंधन को 35 सीटें मिलने के बाद बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को समझने की कोशिश की।
चिदंबरम ने कहा कि नागरिकों को चुनाव परिणाम स्वीकार करना चाहिए, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राज्य को अभी भी गहरे संरचनात्मक संकटों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बिहार के मतदाताओं से सवाल किया कि बिहार की वर्तमान स्थिति को देखते हुए उन्होंने बदलाव के लिए क्यों नहीं वोट किया।
चिदंबरम ने विशेष रूप से बिहार में बेरोजगारी, काम के लिए पलायन, गरीबी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा की दयनीय स्थिति, और शराबबंदी की विफलता को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के लोग अब भी “लालू प्रसाद की सरकार के 15 साल” और नीतीश कुमार के लंबे शासन को याद करते हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने बदलाव के लिए वोट नहीं दिया।
पूर्व वित्त मंत्री ने यह भी तर्क दिया कि बिहार के मतदाताओं को “चंपारण युग की भावना” को फिर से खोजना होगा और राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य, नौकरियों और परीक्षा घोटालों जैसे गंभीर मुद्दों को नजरअंदाज करना बंद करना होगा।
इस विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि चिदंबरम बिहार की स्थिति में गहरे बदलाव की आवश्यकता महसूस करते हैं और उनका मानना है कि केवल चुनाव परिणाम से राज्य की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता।









