Desk: मेरठ में लालकुर्ती थानेदार अतरसिंह बलात्कार के आरोपी के पैरोकार बन गए है. पीड़िता की फरियाद दर्ज करने के बजाय थानेदार ने बलात्कार के आरोपी को बचाया ही नही बल्कि केस भी दर्ज नही किया. अदालत ने इस मामले मेरठ एसएसपी को आदेश दिया है कि थानेदार के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाये.
परिवार को किडनैप करके 20 लाख की फिरौती मांगने वाली मेरठ की एसओजी टीम को आप शायद ही भूले हो. लेकिन अबकी बार एक नया कारनामा मेरठ के लालकुर्ती थानेदार अतर सिंह ने किया है. लंबे समय से लालकुर्ती थानेदार में मठाधीश बनकर जमे इंस्पैक्टर अतर सिंह ने जेबें गर्म करने के बाद एक ट्रैवल ऐजेंसी के मालिक इरशाद की काननी दायरे के बाहर जाकर मदद की है. इरशाद के ऊपर आरोप थे कि उसने गैर धर्म की एक युवती को अपने प्रेमजाल में फंसाकर उसका बलात्कार किया है. केवल बलात्कार ही नही, इरशाद उस युवती के अश्लील वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल भी करता रहा है. थाने से लेकर एसएसपी आफिस तक अपनी फरियाद लेकर गयी पीड़िता की गुहार किसी भी बेदर्द अफसर ने नही सुनी.
थानेदार अतरसिंह ने केस दर्ज किये बगैर एक जांच का पाखंड किया और बलात्कार और ब्लैकमेलिंग के आरोपी इरशाद को क्लीनचिट दे दी. थाने और एसएसपी आफिस की चौखट पर अपना सिर पटककर थक चुकी पीड़िता अदालत की शरण में गयी. अदालत ने थानेदार की कार्यशैली निष्ठा पर सवाल खड़े करते हुए एसएसपी मेरठ को आदेश दिया है कि इंस्पैक्टर अतर सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया जाये. अदालत ने यह भी कहा है कि सीआरपीसी की धारा 156-ए के तहत पीड़िता का केस भी दर्ज किया जाये. अगर उसके आरोप झूठे पाये जाये तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई हो.